प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली, जिसे आयुर्वेद के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन लेखन पर आधारित है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए “प्राकृतिक” और समग्र दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है और भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेदिक उपचार उत्पादों (मुख्य रूप से पौधों से प्राप्त, लेकिन इसमें पशु, धातु और खनिज भी शामिल हो सकते हैं), आहार, व्यायाम और जीवन शैली को जोड़ता है। स्वस्थ्य सेहत का आयुर्वेदिक नुस्ख़ा
डॉ.रोहित गुप्ता
जब बाल झड़ रहे हों
- नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।
- बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।
- दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।
कफ और सर्दी जुकाम में सर्दी जुकाम, कफ आए दिन की समस्या है। आप ये घरेलू उपाय आजमाकर इनसे बचे रह सकते हैं।
- नाक बह रही हो तो काली मिर्च, अदरक, तुलसी को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार लें। नाक बहना रुक जाएगा।
- गले में खराश या ड्राई कफ होने पर अदरक के पेस्ट में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। आराम मिलेगा।
- नहाते समय शरीर पर नमक रगड़ने से भी जुकाम या नाक बहना बंद हो जाता है।
- तुलसी के साथ शहद हर दो घंटे में खाएं। कफ से छुटकारा मिलेगा।
शरीर,सांस की दुर्गध में यह परेशानी भी आम है। कई बार तो हमें इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ जाता है।
- नहाने से पहले शरीर पर बेसन और दही का पेस्ट लगाएं। इससे त्वचा साफ हो जाती है और बंद रोम छिद्र भी खुल जाते हैं।
- गाजर का जूस रोज पिएं। तन की दुर्गध दूर भगाने में यह कारगर है।
- पान के पत्ते और आंवला को बराबर मात्रा में पीसे। नहाने के पहले इसका पेस्ट लगाएं। फायदा होगा।
- सांस की बदबू दूर करने के लिए रोज तुलसी के पत्ते चबाएं।
- इलाइची और लौंग चूसने से भी सांस की बदबू से निजात मिलता है।
उच्च रक्त चाप
1- कुछ दिनों तक लगातार आधा चम्मच मैथी दाना का पॉउड़र पानी के साथ लेने से उच्च रक्त चाप में लाभ होता है।
2- तुलसी के पाँच पत्ते और नीम के दो पत्ते कुछ दिनों तक लेने से उच्च रक्त चाप मे लाभ होता है।
3- तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से उच्चरक्त चाप में लाभ होता है।
4-दो कली लहसुन की खाली पेट लेने से उच्च रक्त चाप में फायदा होता है।
5- लौकी का एक कप रस सुबह खाली पेट लेने से उच्च रक्त चाप कम होने में फायदा करता है।
6- प्रतिदिन एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस लेना सभी रोगों में लाभकारी होता है।
पैर में मोच आ जाय
1- आक या पान का पत्ता या आम का पत्ते को चिकना कर नमक लगा कर उस स्थान पर बांधने से काफी लाभ होता है।
2- चोट लगने पर नमक में काले तिल, सूखा नारियल और हल्दी मिला कर पीस कर गरम कर चोट वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है।
घुटनों के दर्द के कुछ उपाय
1- सुबह खाली पेट तीन-चार अखरोट की गिरियां निकाल कर कुछ दिनों तक खाना चाहिए। इसके नियंत्रित सेवन से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। नारियल की गिरी भी खाई जा सकती है। इससे घुटनों के दर्द में राहत मिलती है।
अस्थमा की समस्या
1- तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह से साफ कर उनमें पिसी काली मिर्च डालकर खाने के साथ देने से दमा नियंत्रण में रहता है।
2- गर्म पानी में अजवाइन डालकर स्टीम लेने से भी दमे को नियंत्रित करने में राहत मिलती है।
किड़नी में पथरी की समस्या
तीन हल्की कच्ची भिंड़ी को पतली-पतली लम्बी-लम्बी काट लें। कांच के बर्तन में दो लीटर पानी में कटी हुई भिंड़ी ड़ाल कर रात भर के लिए रख दें। सुबह भिंड़ी को उसी पानी में निचोड़ कर भिंड़ी को निकाल लें। ये सारा पानी दो घंटों के अन्दर-अन्दर पी लें। इससे किड़नी की पथरी से छुटकारा मिलता है।
पेट में वायु की अधिकता
1- ऐसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए भोजन के बाद 3-4 मोटी इलायची के दाने चबा कर ऊपर से नींबू पानी पीने से पेट हल्का होता है।
2- सुबह-शाम 1/4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट नर्म होता है।
3- अजवायन और काला नमक को समान मात्रा में मिला कर गर्म पानी से पीने से पेट का अफारा ठीक होता है।
नाभि के अपने स्थान से खिसक जाने पर
1- मरीज़ को सीधा लिटाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आंवले का आटा बना कर उसमें अदरक का रस मिलाकर बांध दें और दो घंटों के लिए सीधा ही लेटे रहने दें। दो बार ऐसा करने से नाभि अपने स्थान पर आ जायेगी। दर्द और दस्त जैसे कष्ट भी दूर होंगे।
2- ऐसे समय में मरीज़ को मुंग की दाल वाली खिचड़ी खाने में देनी चाहिए।
3- अदरक और हींग का सेवन भी फायदा करता है।
दस्त की समस्या
1- खाना खाने के बाद एक कप लस्सी में एक चुटकी भुना ज़ीरा और काला नमक ड़ाल कर पीएं। दस्त में आराम आयेगा।
2- अदरक का रस नाभि के आस-पास लगाने से दस्त में आराम मिलता है।
3- मिश्री और अमरूद खाने से भी आराम मिलता है।
4- कच्चा पपीता उबाल कर खाने से दस्त में आराम मिलता है।
बार-बार मूत्र आये
1- सुबह-शाम एक-एक गुड़ और तिल से बना लड्ड़ु खाना चाहिए।
2- शाम के समय काले भुने हुए चने छिल्का सहित खाएं और एक छोटा सा टुकड़ा गुड़ का खाकर पानी पी लें।
उल्टी
1- – तुलसी के रस में बराबर की मात्रा में शहद मिला कर चाटने से उल्टी बन्द हो जाती है।
2- 2 चम्मच शहद में बराबर मात्रा में प्याज़ का रस मिला कर चाटने से उल्टी बन्द हो जाती है।
3- दिन में 5-6 बार एक-एक चम्मच पोदीने का रस पीने से उल्टी बन्द हो जाती है।
बच्चों को सर्दी या बुखार हो जाय तब
1- दो-तीन तुलसी के पत्ते और छोटा सा टुकड़ा अदरक को सिलबट्टे पर पीस कर मलमल के कपड़े की सहायता से रस निकाल कर 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में 2-3 बार देने से सर्दी में आराम मिलता है।
2- लौंग को पानी की बूंदों की सहायता से रगड़ कर उसका पेस्ट माथे पर और नाभि पर लगाना चाहिए।
3- एक कप पानी में चार-पाँच तुलसी के पत्ते और एक टुकड़ा अदरक ड़ाल कर उबाल लें पानी की आधी मात्रा रह जाने पर उसमें एक चम्मच गुड़ ड़ाल कर उबाल लें। दिन में दो बार दें। आराम आ जायेगा। स्वस्थ्य सेहत का आयुर्वेदिक नुस्ख़ा