डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी हो सकते हैं ठगी के शिकार

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डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी हो सकते हैं ठगी के शिकार
डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी हो सकते हैं ठगी के शिकार

डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी ठगी के हो सकते हैं शिकार। ठगी का शिकार होकर लोग जीवन भर की कमाई एक क्लिक और पल भर में गंवा दे रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी हो सकते हैं ठगी के शिकार

विनय कुमार मिश्र

आज हर कोई समझदार होशियार और जागरूक भी है लेकिन ठगा जा रहा है।जब हम ठग लिए जाते हैं तो हम भी लोग अंगुली उठाते हैं और सवाल करते हैं कि कैसे आप ठगा गए । साइबर अपराधी और ठगी करने वाले इतने होशियार चालाक होते हैं कि कोई भी उनके झांसे में आ सकता है। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। साइबर क्राइम, ठगी धीरे-धीरे बढ़कर आज लोगों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है। प्रत्येक जगह हर रोज सुनने, पढ़ने, देखने को मिल रहा है कि कोई डिजिटल अरेस्ट होकर इतनी हजार, लाख, करोड़ गंवा दिया तो किसी ने ऐप डाउनलोड करके इतने गवा दिया तो किसी ने लिंक खोलकर और किसी ने फाइल डाउनलोड कर इतने गंवा दिया।

आजकल कई माध्यमों से लोगों को बहला , फुसलाकर, लालच, प्रलोभन देकर उनके साथ ठगी की जा रही है। लोग अभी एक मामले प्रकार की ठगी के विषय में जान समझ पाते हैं, तब तक एक नई प्रकार की ठगी के शिकार हो जाते हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि डिजिटल अरेस्ट के अलावा अन्य माध्यमों से ठगी का शिकार ज्यादा पढ़े लिखे लोगों के अलावा हाई प्रोफाइल लोग जैसे डॉक्टर , इंजीनियर , प्रोफेसर आदि जैसे लोग हो रहे हैं। अब तो लोगों को इससे जागरूक करने और होने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. फिर भी लोग हर दिन ठगी का शिकार हो रहे हैं । ठगी का शिकार होकर लोग जीवन भर की कमाई एक क्लिक और पल भर में गंवा दे रहे हैं । यह सब ऐसे सुनियोजित तरीके और माध्यम से किया जा रहा है जिसमें आप अपनी गवा चुकी रकम पुनः नहीं पा सकते हैं, एक दो मामले को छोड़कर। साइबर पुलिस आपके आवेदन पर मुकदमा दर्ज कर लेगी लेकिन रकम वापस नहीं हो पाएगी क्योंकि उस रकम का पता ही नहीं चलता है कि वह रकम कहां गई है । ऐसे मामले सभी के लिए सरदर्द बनते जा रहे हैं । इसलिए साइबर पुलिस लोगों को साइबर क्राइम , साइबर ठगी के विषय पर जागरूक कर रही है लेकिन फिर भी लोग अपनी नादानी की वजह से हर रोज ठगे जा रहे हैं ।

इसकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि सावधानी बरतें, जागरूक रहें और जागरूकता फैलाएं भी । विभिन्न लोगों से जो इस मामले के जानकार हैं उनसे बातचीत करें, उनके विचार जाने , अखबार तथा जागरूकता के अन्य विभिन्न साधनों, बैठकों पर लोगों के विचार पड़े सुने देखें , किसी अनजान लिंक ऐप को ना खोले, ना किसी फाइल को डाउनलोड करें, सोशल मीडिया का प्रयोग करते समय भी सावधानी रखें, सस्ते खरीदारी के चक्कर में जाकर कहीं पर अपनी गोपनीय जानकारी साझा ना करें, साइबर ठग विभिन्न माध्यमों से जैसे एप, फर्जी कॉल , फर्जी मेल , फर्जी लिंक आदि के साथ विभिन्न तरीके के लालच प्रलोभन आदि देते हैं कि आप उनके जाल में फंसे।

हमारे यहां एक कहावत है कि लालच के बाप का नाम है चौपट। तो किसी भी प्रकार के लालच आदि में न पड़ें। कोई डराता धमकाता है तो उसकी काल पर मैसेज पर ध्यान न दें . उसे ब्लाक कर दें। अगर कोई बैंक का प्रतिनिधि होकर बात कर रहा है तो उससे कहें कि मैं बैंक आकर आपसे बात करुंगा, फोन पर मैं कोई भी जानकारी साझा नहीं करुंगा । याद रखें हमारी जागरूकता और होशियारी ही हमें बचाने के साथ साथ औरों को बचा पाएंगी तो होशियार जागरूक बनिए और जिम्मेदारी निभाईए। डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी हो सकते हैं ठगी के शिकार