भारत-पाक संबंधों पर अमेरिकी रणनीति..!

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भारत-पाक संबंधों पर अमेरिकी रणनीति..!
भारत-पाक संबंधों पर अमेरिकी रणनीति..!
रामस्वरूप रावतसरे
रामस्वरूप रावतसरे

अमेरिका कभी नहीं चाहेगा भारत के हाथों पाकिस्तान का समूल नाश हो! भारत और पाकिस्तान के बीच लागू हुआ संघर्षविराम चार घंटे से भी कम समय में टूट गया है। पाकिस्तान ने शनिवार रात को जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात तक बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले किए हैं हालांकि, भारत ने इन ड्रोन हमलों को विफल कर दिया है हालांकि, इससे अमेरिका के विश्वास को जरूर धक्का लगा है। अमेरिका ने दावा किया था कि उसकी मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद भारत और पाकिस्तान में संघर्षविराम हुआ है। इसका क्रेडिट खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके विदेश मंत्री मार्का रूबियो ने लिया है। ऐसे में पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को सीधे अमेरिका के लिए बेइज्जती माना जा रहा है। अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि भारत के हाथों पाकिस्तान का समूल नाश हो !

डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को घोषणा की कि अमेरिका की मध्यस्थता से हुई वार्ता के बाद भारत और पाकिस्तान ‘‘तत्काल और पूर्ण’’ संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं। उन्होंने साथ ही दावा किया कि ऐसा अमेरिका की मध्यस्थता वाली वार्ता के कारण संभव हो सका है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में घोषणा की, ‘‘अमेरिका की मध्यस्थता में पूरी रात चली बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ‘तत्काल और पूर्ण संघर्ष विराम’ पर सहमत हो गए हैं।’’ ट्रंप ने कहा, ‘‘दोनों देशों को समझदारी और विवेक का इस्तेमाल करने के लिए बधाई। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद।’’ ट्रंप ने यह घोषणा अमेरिकी विदेश मंत्री मार्का रुबियो के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस्हाक डार और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से बातचीत के बाद की।

अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने भी ‘एक्स’ पर ऐसा ही बयान दिया है। रुबियो ने कहा,‘‘यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल संघर्ष विराम और तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति का मार्ग चुनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और शरीफ के विवेक और राजनीतिक सूझबूझ की सराहना करते हैं।’’

सरकारी सूत्रों ने हालांकि बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने का मामला सीधे तौर पर दोनों देशों के बीच तय हुआ था। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) ने भारतीय डीजीएमओ से फोन पर बातचीत की जिसके बाद चर्चा हुई और सहमति बनी। इस्लामाबाद में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इस्हाक डार ने तत्काल प्रभाव से संघर्ष विराम की पुष्टि की।

जानकारों की माने तो भारत के हमले से नूर खान एयरबेस के तबाह होने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह से डर गया था। पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त हो गये थे और वो भारतीय मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में बुरी तरह से नाकाम साबित हो रहे थे जबकि उस वक्त तक भारत ने अपने काफी कम तबाही मचाने वाले हथियारों का ही इस्तेमाल किया था। ऐसा लग रहा था कि भारत अगले कुछ घंटों में पाकिस्तान के तमाम सैन्य ठिकानों, हथियार भंडार को तबाह करने वाला है। इसी बीच अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन करते हैं और उसके बाद सीजफायर का ऐलान हो जाता है। आखिर टेलीफोन पर जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को क्या कहा था, ऐसी क्या ’’खतरनाक खुफिया’’ जानकारी थी, जिसे जानने के बाद भारत सीजफायर के लिए तैयार होता है?

सीएनएन ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले इसका खुलासा किया है कि अमेरिका के पास कुछ ऐसी खुफिया जानकारी थी जो काफी खतरनाक बताई जा रही है। ये जानकारी इतनी संवेदनशील थी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन, जिसने ठीक एक दिन पहले कह दिया था कि उसे इस युद्ध से कोई मतलब नहीं है, उसे अचानक बीच में आना पड़ा और सीजफायर के लिए भारत से बात करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को आशंका थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है, संभावित तौर पर एक परमाणु युद्ध की आशंका तक पहुंच सकती थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने तत्काल भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टेलीफोन किया और उस खुफिया जानकारी को देने के बाद उनसे पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत के जरिए सीजफायर का समाधान निकालने का प्रस्ताव रखा। उनके टेलीफोन का मकसद भारत को एक सीधे युद्ध से बचने की सलाह दी गई थी। अमेरिकी अधिकारियों से कहा कि ’’खुफिया जानकारी मिलने के बाद सबसे पहले जेडी वेंस तत्काल डोनाल्ड ट्रंप के पास पहुंचे थे और उनसे जानकारियां शेयर की और उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टेलीफोन किया।’’ इस दौरान जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि ’’अमेरिका का आकलन है कि अगर संघर्ष दो दिनों तक और चलता है तो ये युद्ध नाटकीय अंजाम तक बढ़ सकता है।’’ हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने ये नहीं बताया कि ’’वो खुफिया जानकारी क्या था और युद्ध के नाटकीय अंजाम तक बढ़ने का क्या मतलब था।’’

यह भी बताया जा रहा है कि अमेरिका के तीन अधिकारी लगातार भारत-पाकिस्तान युद्ध पर नजर बनाए हुए थे। इनमें अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्का रूबियो, जो अभी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर भी हैं और वाइट हाउस चीफ ऑफ स्टाफ सुसी वाइल्स। ये लगातार हर स्थिति की जानकारी ले रहे थे लेकिन जैसे ही इनके पास ’’खतरनाक खुफिया जानकारी’’ पहुंची, उन्होंने फौरन संघर्ष को रोकने के लिए भूमिका निभानी शुरू कर दी। अधिकारियों ने वो खुफिया जानकारी का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

भारत-पाक संबंधों पर अमेरिकी रणनीति..!
भारत-पाक संबंधों पर अमेरिकी रणनीति..!

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नूर खान एयरबेस के तबाह होने के बाद पाकिस्तान बहुत ज्यादा डर गया था और उसे लग रहा था अब भारत उसके हाई वैल्यू टारगेट पर हमला करने वाला है। नूर खान एयरबेस, पाकिस्तानी एयरफोर्स का सबसे संवेदनशील एयरबेस है और भारत ने यहां पर डीप स्ट्राइक किए थे जिस के कारण पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और रडार सिस्टम भारतीय हथियारों को बिल्कुल भी इंटरसेप्ट नहीं कर पा रहे थे जिससे भारतीय हमलों को रोकने के लिए पाकिस्तान के पास कुछ नहीं था जबकि पाकिस्तान के मिसाइल भारत को नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे जिससे पाकिस्तान के हाथ पांव फूल गये थे और वो किसी तरह से युद्ध से बाहर निकलना चाहता था।

जानकारों की माने तो अमेरिका का हस्तक्षेप बिना किसी कारण के नहीं था। पाकिस्तान के साथ भारत के बढ़ते संघर्ष से अमेरिका के आर्थिक हित प्रभावित हो सकते थे। अस्थिरता के कारण व्यापार और निवेश पर नकारात्मक असर पड़ सकता था। इसके अलावा, क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से तेल की कीमतें भी प्रभावित हो सकती थीं। इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही है। अमेरिका पर मंदी के बादल छाए हुए हैं। ऐसे समय में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता को और बढ़ा सकता था। इससे अमेरिका सहित तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता। अपनी तरक्‍की से भारत ग्‍लोबल ग्रोथ का इंजन बना हुआ है। भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। अमेरिका के लिए वह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार भी है। ऐसे हालात में अमेरिका के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना आर्थिक रूप से अधिक फायदेमंद है। आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान के पास कुछ नहीं है। वह पहले ही बर्बाद मुल्‍क है।

अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत संघर्ष में पाकिस्‍तान से उलझ जाए। यह क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकता था। जानकारो के अनुसार अमेरिका भारत के साथ बहुत जल्‍द एक समझौता करने वाला है। किसी भी तरह का तनाव भारत में निवेश के माहौल को बिगाड़ सकता था। वहीं पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के भी कई एजेण्डे है जिन्हें वह आने वाले समय में पूरा करना चाहेगा। इसलिए उसे उसकी भी जरूरत है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि सत्ता में कौन रहता है किसका खत्मा होता है। इससे अमेरिका को कोई मतलब नहीं है, मतलब है तो बस उसे अपने स्वार्थो को पूरा करने से है। इसके लिए वह किसी भी स्तर तक जा सकता है। अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि भारत के हाथों पाकिस्तान का समूल नाश हो !