पति-पत्नी का अद्भुत प्रेम

78
Oplus_131072

एक बार ऐसा हुआ कि पति-पत्नी के बीच किसी छोटी सी बात पर झगड़ा हो गया। गर्मियों की रात थी, दोनों गुस्से में अपने-अपने बिस्तरों पर जा लेटे। आधी रात को अचानक पति को प्यास लगी। पास ही रखे टेबल पर पानी का जग और गिलास रखा था। पति ने सोचा कि खुद उठकर पानी पी ले। उसने गिलास में पानी डाला और पीने लगा, तभी उसने महसूस किया कि उसकी पत्नी उसे गुस्से में घूर रही है।

पत्नी ने क्रोध भरे स्वर में कहा, “तुमने खुद पानी क्यों पिया? तुम जानते हो कि ये मेरा हक है!”

पति भी गुस्से में आ गया और अकड़ते हुए बोला, “हाथ-पैर सलामत हैं, मैं खुद पानी पी सकता हूं, किसी का मोहताज नहीं हूं।”

पति और पत्नी का प्यार बना रहे, इसके लिए एक-दूसरे का सम्मान करना बहुत आवश्यक है। दूसरे को अपमानित करके आप सम्मान पाने की अपेक्षा नहीं रख सकते। बात-बात पर पति का पत्नी पर हाथ उठाना या गाली-गलौच करना निचले स्तर का काम है। पत्नी द्वारा अपने रिशतेदारों या सहेलियों के बीच अपने ही पति की बुराइयाँ करना उचित नहीं है। इससे पति पत्नी संबंध खराब होने लगते हैं। जो पति पत्नी आपस में लड़-झगड़ रहे हैं वे इस बात का ध्यान रखें कि अपना दोष दूसरे पर न रखें। संसार चलाने के लिए बुद्धि व समझदारी की आवश्यकता है।

पत्नी उसकी ओर धीरे-धीरे बढ़ी और उसका कॉलर पकड़ लिया। उसकी आंखें गुस्से में लाल हो रही थीं, पर उसकी आवाज़ नर्म थी। उसने पति की आंखों में देखा और कहा, “सुनो, लड़ाई अपनी जगह पर है, पर ये मेरी खुशी का हक मैं कभी खोने नहीं दूंगी।”

पति थोड़ा चौंका, उसने पूछा, “खुशी? पानी देने से?”

पत्नी की आंखों में अब वह क्रोध नहीं था, सिर्फ नरमी थी। उसने कहा, “तुम्हें पानी देते वक्त मुझे जो खुशी होती है, उसे कोई नहीं छीन सकता। चाहे हम एक-दूसरे से बात न करें, लेकिन ये हक मेरा है। तुमसे जुड़ी हर छोटी खुशी मेरी है, और तुम ये नहीं छीन सकते।”

पति की आंखों में स्नेह और शर्म एक साथ उतर आई। उसने धीरे से उसे गले से लगाया और कहा, “मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हारी भावनाओं को समझने में गलती की।”

पत्नी मुस्कुराई और धीरे से कहा, “मोहब्बत मर नहीं सकती, चाहे हालात कुछ भी हों।”

वो झगड़ा उसी पल खत्म हो गया। दोनों के बीच फिर वही पुराना प्यार लौट आया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

लेकिन दस साल बाद…

रात के तीन बजे, करण एक बार फिर प्यास के मारे उठा। बिस्तर से धीरे से उठकर उसने पानी का गिलास भरा। जैसे ही वो पानी पीने लगा, उसकी नज़र दीवार पर लगी उस तस्वीर पर गई – उसकी पत्नी की तस्वीर। उसकी आंखों में आंसू भर आए, वो तस्वीर के पास जाकर धीरे से उसे छूने लगा। उसे अपनी पत्नी की कही हुई एक बात याद आ गई, “मोहब्बत मर नहीं सकती।”

करण के दिल में भारीपन था, लेकिन उसकी आँखों में एक सुकून भी था। अब वह हर बार जब भी पानी पीता, उसकी प्यारी पत्नी की यादों में डूब जाता।