अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी रिपोर्ट पढनी चाहिए

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अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी रिपोर्ट पढनी चाहिए
अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी रिपोर्ट पढनी चाहिए

अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी की रिपोर्ट पढनी चाहिए। अखिलेश यादव आलोचना करने के बजाय अपने मुख्यमंत्री रहते हुए एक मॉडल सेट कर सकते थे लेकिन तब उन्होंने कुंभ में कोई रूचि नहीं दिखाई थी।

 रामस्वरूप रावतसरे

    मकर संक्रांति (14 जनवरी, 2025) से प्रयागराज में महाकुंभ चालू हो रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इसके लिए तैयारियों में जुटी हुई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर भीड़ प्रबन्धन तक के काम तेजी से चल रहे हैं। योगी सरकार का कहना है कि 2025 का महाकुंभ सबसे दिव्य होगा।अब इस आयोजन से भी उत्तर प्रदेश के विपक्ष को परेशानी हो गई बताई जा रही है। सपा से फैजाबाद के सांसद अवधेश कुमार ने कहा है कि महाकुंभ का आयोजन करना कोई नई बात नहीं है और उनकी सरकार में भी यह हुआ था। अवधेश कुमार ने दावा किया है कि इस बार के महाकुंभ में बंदरबाँट हो रही है। उनके नेता अखिलेश यादव भी इस बीच महाकुंभ की तैयारियों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। कहीं वह खम्भों की फोटो डालते हैं तो कहीं अधूरी पुलिस चौकी दिखाते हैं। उनका दावा होता है कि महाकुंभ का काम अधूरा है। हालाँकि,अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के नेता यह भूल जाते हैं कि अब से ठीक 12 वर्ष पहले प्रयागराज में उन्हीं की सरकार के समय में कुंभ का आयोजन हुआ था और उसके कुप्रबंधन की दुनिया भर में आलोचना हुई थी।

    अखिलेश यादव आलोचना करने के बजाय अपने मुख्यमंत्री रहते हुए एक मॉडल सेट कर सकते थे लेकिन तब उन्होंने कुंभ में कोई रूचि नहीं दिखाई थी। महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ से लेकर पैसा ना खर्चने और भीड़ के प्रबन्धन तक में सैकड़ों गड़बड़ियाँ उनकी सरकार में हुई थीं। इसको लेकर सीएजी ने एक रिपोर्ट बनाई थी जिसमें पूरी सच्चाई को उजागर किया गया था।

   2013 के कुंभ के लिए अखिलेश यादव को आजम खान के अलावा और कोई शख्स नहीं मिल सका था। आजम खान को इस मेले की समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। आजम खान को हिन्दुओं के सबसे बड़े जुटान कुंभ में संभवतः कोई रुचि नहीं थी और वह उस दौरान रामपुर में अपनी समानांतर सरकार चलाने और जौहर यूनिवर्सिटी बनाने में लगे हुए थे। आजम खान के मंत्री रहते हुए इस कुंभ के दौरान प्रयागराज के रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 42 लोग मारे गए थे। यह हादसा 10 फरवरी, 2013 को हुआ था। इस दिन मौनी अमावस्या थी और लाखों श्रद्धालु उस दिन प्रयागराज में गंगा में स्नान करने आए थे। इस हादसे को लेकर रिपोर्ट भी बाद में सामने आई थी। इस हादसे के कारणों में से एक यह भी था कि राज्य सरकार ने पर्याप्त बसों की व्यवस्था नहीं की थी। इस हादसे के बाद आजम खान ने दिखावे के तौर पर अपने इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन अखिलेश यादव ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। हादसे के 2 दिन बाद अखिलेश यादव प्रयागराज गए थे और गाड़ी लेकर अंदर घूम कर वापस चले गए थे। उन्होंने यहाँ स्नान करना तक जरूरी नहीं समझा था। वर्तमान में खम्भों पर तार ना लगने को लेकर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे अखिलेश यादव तब हादसे को लेकर राजनीति ना करने की अपील कर रहे थे।

अखिलेश यादव के समय गड़बड़ी सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी। इस कुम्भ को लेकर जब सीएजी ने ऑडिट किया तो असल सच्चाई खुली थी। सीएजी की रिपोर्ट में सामने आया था कि 2013 के कुंभ के लिए सारे काम पूरे करने की तिथि सबसे पहले 30 नवम्बर, 2012 रखी गई थी लेकिन इनमें से कई काम मेला चालू होने तक भी पूरे नहीं हुए। इनकी तिथि इस बीच तीन बार बढ़ाई गई। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, अखिलेश यादव की सरकार मेले की शुरूआत यानी 14 जनवरी, 2013 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े 59 प्रतिशत काम पूरे नहीं पाई थी, यानी वर्तमान में खम्भों पर तार ना लगने को मुद्दा बना रहे अखिलेश यादव अपनी सरकार में मेला शुरू होने तक 60 प्रतिशत काम नहीं पूरा करवा पाए थे। यहाँ तक सड़क निर्माण से जुड़े 111 कामों में से 65 मेला खत्म होने के तक भी पूरे नहीं हुए थे। और तो और, 26 करोड़ के 4 प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पाए थे। इन सब के बावजूद अखिलेश सरकार ने सीएजी को जनवरी, 2013 में यह सूचना दी थी कि सारे काम पूरे हो गए। इसको लेकर सीएजी ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया था।

अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी रिपोर्ट पढनी चाहिए
अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी रिपोर्ट पढनी चाहिए

   सीएजी ने अपनी जाँच में यह भी पाया कि कुंभ के लिए जिन दवाइयों, गाड़ियों समेत बाकी चीजों की सप्लाई की जानी थी, उसमें भी 2 करोड़ से ज्यादा का सामान मेला चालू होने तक भी नहीं पहुँचा था। कई ऐसे कामों को कुंभ के पैसे से करवा लिया गया था जो उससे जुड़े ही नहीं थे। 2013 के महाकुम्भ के लिए 1152 करोड़ का बजट बना था और यह रिलीज किए गए थे। इस धनराशि में से 341 करोड़ केंद्र सरकार के दिए हुए थे। यह खर्च कुंभ के दौरान बनने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर और बाक़ी खरीद के लिए होना था लेकिन यह पैसा पूरा खर्च तक नहीं किया गया। इस धनराशि में से 1017 करोड़ खर्च हुआ यानी 134 करोड़ की धनराशि पड़ी रह गई। इसके अलावा समाजवादी पार्टी को केंद्र सरकार ने 800 करोड़ अलग से कुंभ के लिए दिए थे। इस धनराशि में से एक पैसा अखिलेश यादव की सरकार ने कुंभ के कामों के लिए नहीं लगाया। इस पैसे को राज्य सरकार ने अपने काम में लगा लिया।

  सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि यदि इस हिसाब देखा जाए तो सपा सरकार ने मात्र 10 करोड़ या बजट का 1 प्रतिशत ही अपने पास से लगाया क्योंकि 1141 करोड़ तो केंद्र सरकार ही दे चुकी थी। इन सब के बाद भी जो पैसा खर्च भी हुआ, उसमे भी खूब गड़बड़ी हुई। गड़बड़ी का स्तर यह था कि बस और मोटरसाइकिल के नम्बर मेले में काम करने वाले ट्रैक्टर के लिए दिए गए थे। सीएजी रिपोर्ट बताती है कि 30 मजदूरों को एक ही समय में दो जगह पर काम करते हुए दिखा दिया गया था। इनको पैसा भी दे दिया गया था। कहीं पुल के मरम्मत के नाम पर करोड़ों का फालतू खर्च किया गया तो कहीं बैरीकेडिंग में पैसा उड़ाया गया। कुल मिलाकर खूब भ्रष्टाचार भी हुआ।

   अखिलेश सरकार ने 2013 कुंभ में केवल इन्फ्रा बनाने या पैसा खर्चने में ही कोताही नहीं बरती बल्कि यहाँ श्रद्धालुओं के प्रबन्धन में भी भारी लापरवाही बरती थी। एक अनुमान के अनुसार इस कुंभ में लगभग 12 करोड़ लोग देश विदेश से शामिल हुए थे। सीएजी की ही रिपोर्ट बताती है कि यहाँ इन 12 करोड़ श्रद्धालुओं को संभालने के लिए मात्र 5 गोताखोर की नियुक्ति हुई थी। इतने बड़े आयोजन में लोगों की सुरक्षा को गंभीरता से ना लेना कुंभ के प्रति अखिलेश सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।जहाँ 2013 का कुंभ अखिलेश यादव ने विफलताओं का स्मारक बना दिया था, वहीं 2025 के कुंभ को योगी सरकार ने डिजिटल कुंभ के तौर पर आयोजित करने की तैयारी कर ली है। इस महाकुंभ के लिए योगी सरकार ने विशेष एप बनाया है। यह एप 11 भाषाओं में चलेगा। महाकुंभ में हर सेवा के लिए क्यूआर कोड लगाए गए हैं।

महाकुंभ की सुरक्षा के लिए पूरे मेला क्षेत्र में हजारों कैमरे लगाए गए हैं। इनका एक इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम बनाया गया है। इस सिस्टम में एआई का भरपूर उपयोग हुआ है। इसके अलावा ड्रोन से भी यहाँ निगरानी की जाएगी। महाकुंभ मेला क्षेत्र को 25 कमांड सेंटर में बाँट दिया गया है। महाकुंभ का मेला क्षेत्र कई किलोमीटर में विस्तृत होता है। इसके कारण श्रद्धालुओं को काफी पैदल चलना पड़ता था। अब यह स्थिति योगी सरकार बदल देगी। योगी सरकार ने इस महाकुंभ में मेला क्षेत्र के भीतर शटल बस, ई ऑटो और ई रिक्शा की व्यवस्था की है। यह श्रद्धालुओं की सहूलियत के 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। हजारों पुलिसकर्मियों की नियुक्ति भी की गई है। अखिलेश को महाकुंभ पर राजनीति के बजाय 2013 की सीएजी रिपोर्ट पढनी चाहिए