
आयुर्वेद के जरिए होगा खेतीबाड़ी का कायाकल्प। आमजन को मिलेगा आरोग्य का लाभ, किसानों की भी बढ़ेगी आय। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हर जिले में आयुर्वेद वेलनेस सेंटर खोलने की घोषणा के होंगे दूरगामी नतीजे। आयुर्वेद के जरिए होगा खेतीबाड़ी का कायाकल्प
लखनऊ। गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण अवसर पर पहली जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई घोषणाओं के नतीजे बेहद दूरगामी होंगे। न केवल दुष्प्रभाव रहित इलाज को लेकर, बल्कि खेतीबाड़ी के कायाकल्प और स्थानीय स्तर पर सृजित होने वाले रोजगार को लेकर भी। मालूम हो कि इस मौके पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार हर जिले में 100/100 बेड की क्षमता वाला आयुर्वेद वेलनेस सेंटर खोलेगी। साथ ही जिन छह मंडलों में आयुर्वेदिक महाविद्यालय नहीं हैं, वहां ऐसे महाविद्यालय भी खोलेगी। आयुर्वेद धरती से जुड़ी इलाज की विधा है। इसमें इलाज के लिए बनने वाली दवाएं जड़ी-बूटी एवं औषधीय पौधों से बनती हैं। जैसे-जैसे प्रदेश में आयुर्वेद के संस्थान खुलेंगे, वैसे-वैसे इनकी मांग भी बढ़ेगी। बढ़ी मांग के कारण इनके दाम भी अच्छे मिलेंगे। लिहाजा परंपरागत फसलों की बजाय औषधीय खेती किसानों की पसंद बनेगी। इससे स्थानीय स्तर पर औषधीय खेती के साथ तैयार उत्पाद के ग्रेडिंग, लोडिंग और अनलोडिंग तक रोजगार के मौके सृजित होंगे।
आमजन के सिर चढ़ कर बोल रहा योग एवं आयुर्वेद का क्रेज
वैसे भी पूरे विश्व में योग और आयुर्वेद का क्रेज लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। तमाम आंकड़े इसके प्रमाण हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 2014 में आयुर्वेदिक उत्पाद का निर्यात 2.85 मिलियन डॉलर था जो 2020 में यह बढ़कर 18 बिलियन डॉलर हो गया। यह वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के प्रति लोगों के बढ़ते भरोसे और लोकप्रियता का प्रमाण है। चूंकि उत्तर प्रदेश ने इसमें पहल की है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाथ पीठ की परंपरा के अनुसार योग और आयुर्वेद के प्रोत्साहन में निजी रुचि है। लिहाजा आने वाले समय में उत्तर प्रदेश आयुर्वेद के क्षेत्र का बड़ा खिलाड़ी बनने के साथ हेल्थ टूरिज्म का हब भी बन सकता है। इसकी और भी कई वजहें हैं, मसलन इस क्षेत्र में काम करने वाले केंद्र सरकार के कुछ शीर्ष संस्थान लखनऊ में ही हैं। ये शोध के साथ ही समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण भी देते हैं। इसका लाभ भी औषधीय खेती करने वाले किसानों को मिलेगा। ये संस्थान हैं एनबीआरआई (नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट), सीमैप (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट)। डबल इंजन (योगी और मोदी) सरकार पहले से ही राष्ट्रीय आयुष मिशन और अन्य योजनाओं के तहत औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को अनुदान देती है।
प्रमुख औषधीय फसलें, जिन पर अनुदान मिलता है
सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच, आर्टीमीशिया, गिलोय, आंवला, जटामांसी आदि की खेती पर 30 से 75 फीसद तक अनुदान मिलता है। ये अनुदान किसानों को राष्ट्रीय आयुष मिशन और उत्तर प्रदेश औषधीय पौधारोपण मिशन के तहत दिए जाते हैं। सरकार की कोशिश है कि किसान किसी एक औषधीय पौधे की समूह में खेती करें, ताकि बाजार खुद उन तक पहुंचे। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के उद्घाटन के मौके पर किसानों से एक गांव, एक औषधीय खेती की अपील की थी। एक जुलाई से सात जुलाई तक चलने वाले वन महोत्सव के साथ ही वर्षाकाल में होने वाले पौधरोपण महाभियान-2025 में भी योगी सरकार ने अन्य प्रजातियों के साथ औषधीय महत्व वाले पौधों के भी रोपण कराने का निर्देश दिया है। आयुर्वेद के जरिए होगा खेतीबाड़ी का कायाकल्प