राजस्थान में कांग्रेस के लिए रोड़ा नहीं बनेगी केजरीवाल की पार्टी।हनुमान बेनीवाल भी कांग्रेस के साथ कर सकते हैं गठबंधन।
एसपी मित्तल
अब जब विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने में मुश्किल से एक पखवाड़ा शेष है, तब भी राजस्थान में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। एक वर्ष पहले केजरीवाल ने कहा था कि जिस प्रभावी तरीके से गुजरात में चुनाव लड़ा, वैसी ही राजस्थान में भी लड़ा जाएगा। प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे। प्रदेश भर में अबकी बार केजरीवाल के नारे भी लिखे गए।
पंजाब की सीमा से लगे जिलों में केजरीवाल ने आम सभाएं भी की, लेकिन केजरीवाल जब से विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल हुए हैं, तब से राजस्थान में भी तेवर ढीले पड़ गए हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार केजरीवाल अब कांग्रेस के लिए रोड़ा नहीं बनेंगे। यानी जिस तरह गुजरात में केजरीवाल कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बने, वैसी भूमिका राजस्थान में नहीं निभाई जाएगी। सूत्रों की माने तो हनुमान बेनीवाल की आरएलपी और केजरीवाल की पार्टी में गठबंधन हो सकता है और फिर कांग्रेस के साथ भी कुछ सीटों पर तालमेल की संभावना है। केजरीवाल नहीं चाहते हैं कि राजस्थान में प्रभावी तरीके से चुनाव लड़ने के कारण लोकसभा चुनाव के लिए बने इंडिया गठबंधन पर कोई प्रतिकूल असर पड़े।
मोदी को पीएम पद से हटाने के लिए कांग्रेस की तरह केजरीवाल भी कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है। मोदी को हटाने के लिए कांग्रेस उन क्षेत्रीय दलों से भी समझौता कर रही है, जिनकी वजह से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तो सपा और टीएमसी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में इन दोनों दलों को तरजीह दी है। दिल्ली सर्विस बिल का विरोध कर कांग्रेस ने पहले ही केजरीवाल पर अहसान कर रखा है। यंू तो केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब में भी कांग्रेस से ही सत्ता छीनी है, लेकिन अब मोदी को पीएम पद से हटाने के लिए केजरीवाल कांग्रेस के प्रति बेहद नरम हैं।
यदि राजस्थान में केजरीवाल कांग्रेस के लिए रोड़ा नहीं बनते हैं तो भाजपा के सामने बड़ी चुनौती होगी। देखना होगा कि बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा इस चुनौती का किस प्रकार मुकाबला करती हैं। भाजपा को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों के असंतोष का सामना भी करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि विधायक कैलाश मेघवाल की तरह कुछ और विधायक वं नेता बागी तेवर दिखा सकते हैं। परिवर्तन यात्रा से लेकर चुनाव की सभी तैयारियों में राजे की सक्रियता नजर नहीं आ रही है।