महिला उत्थान का सशक्त मंच

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महिला उत्थान का सशक्त मंच
महिला उत्थान का सशक्त मंच

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने स्थापना काल से ही भारतीय समाज में समग्र उत्थान और राष्ट्रनिर्माण की अवधारणा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। इस ध्येय में महिला शक्ति को विशेष स्थान दिया गया है, क्योंकि संघ के विचार में समाज की प्रगति और सशक्त राष्ट्र का निर्माण तभी संभव है जब महिलाएँ स्वास्थ्य,शिक्षा,संस्कार और सामाजिक नेतृत्व के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएँ। संघ का दृष्टिकोण यह रहा है कि भारतीय संस्कृति में नारी को केवल गृहिणी या परिवार की देखभाल करने वाली भूमिका तक सीमित नहीं किया जा सकता, बल्कि वह राष्ट्र की नैतिक व सांस्कृतिक आधारशिला भी है। इसी सोच के तहत महिला उत्थान के लिए संघ परिवार से जुड़ी अनेक संस्थाओं—जैसे राष्ट्र सेविका समिति, विद्या भारती, संस्कृति संरक्षण संगठनों और सामाजिक सेवा परियोजनाओं—के माध्यम से स्वास्थ्य,शिक्षा,आत्मरक्षा,रोजगारपरक कौशल और सामाजिक नेतृत्व को बढ़ावा दिया गया है। महिला उत्थान का सशक्त मंच

राष्ट्र सेविका समिति महिलाओं का एक ऐसा संगठन बन कर उभरा जो महिलाओं के अंदर राष्ट्रभक्ति के भाव और सनातन संस्कृति के प्रति सम्मान सिखाने के साथ-साथ आत्म सुरक्षा, अनुशासन, शारीरिक, मानसिक विकास के गुण विकसित करने का कार्य करता था l राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने महिलाओं के लिए अपना नहीं अपने जैसा ही संगठन खड़ा करने में सहयोग किया जिसकी रीति-नीति,आचार पद्धति पूर्ण रुपेण संघ के ही समान थी l शाखा, बैठक, योजना, वर्ग प्रशिक्षण, प्रचारिकाएँ, लक्ष्य सभी कुछ संघ के जैसा l जहाँ संघ व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की बात करता है तो समिति स्त्री को राष्ट्र की आधार शिला मान तेजस्वी राष्ट्र के पुनर्निर्माण की बात करती है l संघ की महिलाओं को लेकर ये एक व्यापक दूर दृष्टि ही तो थी कि महिलाओं को दिशा दिखाने का कार्य उनके जीवन में सुधार लाने का कार्य कभी भी पुरुष नहीं कर सकते महिलाएं अपनी समस्याओं का समाधान पाने में स्वयं सक्षम हैं l

राष्ट्र सेविका समिति संघ के समानांतर संगठन है तो संघ के अनुषांगिक चलने वाले विविध संगठनों में भी महिलाओं की भूमिका न केवल प्रभावी रहती है अपितु निर्णायक भी होती है l जैसे भारतीय स्त्री शक्ति भी महिलाओं के मध्य महिलाओं के द्वारा ही चलने वाला संगठन है जिसकी स्थापना 1988 में हुई और जो पांच उद्देश्यों को लेकर महिलाओं के लिए कार्य करता है वे हैं शिक्षा एवं कौशल विकास, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य, आत्म-सम्मान, आर्थिक स्वतंत्रता और लैंगिक समानता l विद्या भारती शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाला ऐसा संगठन है जिसके माध्यम से संपूर्ण भारत में हिंदुत्वनिष्ठ, राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत शिक्षा प्रदान की जाती है और क्रियांवयन करने वाली अर्थात शिक्षा देने वाली महिला आचार्यों की सहभागिता 95% से अधिक की है l 1977 से ही सरस्वती शिशु मंदिरों के माध्यम से सर्व सुलभ, सर्व स्पर्शी शिक्षा प्रदान करने वाला यह विश्व का सबसे बड़ा गैर सरकारी शेक्षणिक संगठन है जहाँ छात्राओं की संख्या भी और अध्यापिकाओं की संख्या भी सर्वाधिक है और पाठ्यक्रम में बालिकाओं को संस्कारों के साथ साथ आत्मरक्षा के गुण भी सिखाये जाते हैं l अखिल भारतीय विधार्थी परिषद में लाखों छात्राएं सदस्यता लेकर नेतृत्व, स्वाबलंबन् के गुण विकसित करती हैं तो पूर्णकालिक व बड़े बड़े दायित्वों का निर्वहन कर अपनी निर्णायक भूमिका निभाती हैं l

आज संघ के प्रयासों से महिला शक्ति न केवल पारिवारिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, बल्कि राष्ट्र निर्माण की धारा में समान भागीदारी निभा रही है। यह प्रस्तावना उन 100 वर्षों के सतत प्रयत्नों की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करती है, जिनके अंतर्गत महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान को एक राष्ट्रीय कर्तव्य माना गया है। 1936 में संघ प्रेरणा से स्थापित हुई राष्ट्र सेविका समिति वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा महिला संगठन है जिसकी कार्य विस्तार की सीमाएं भारत भूमि से बाहर निकल लगभग 28, देशों में दिखाई देती हैं l इस प्रकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयास न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्रित रहे हैं, बल्कि समाज में उनके प्रति सम्मान, सुरक्षा और समान अवसर सुनिश्चित करने की सतत प्रक्रिया का हिस्सा भी रहे हैं। महिला उत्थान का सशक्त मंच