अयोध्या में बना राम मंदिर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा। यह मंदिर धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखने को तैयार है। रामनगरी, करोड़ों रामभक्तों के आकर्षण का केंद्र है। राम मंदिर की जमीन का स्वामित्व श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास है। यह मंदिर 156 एकड़ में फैला हुआ है। यह क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा मंदिर होगा। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद उत्तर प्रदेश का तस्वीर बदलने वाली है। राम भगवान की कृपा अब योगी सरकार पर इस तरह से बरसेगी कि यूपी 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का अमीर हो जाएगा। राम मंदिर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा। अयोध्या में भक्तों की भारी आमद से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। मील का पत्थर साबित होगा राम मंदिर
एसबीआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि राम मंदिर और अन्य पर्यटन गतिविधियों के कारण उत्तर प्रदेश को वर्ष 2024-25 में 25,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर संग्रह होने की उम्मीद है। इसमें अयोध्या की बड़ी भूमिका होगी। दावा किया जा रहा है कि पर्यटन में होने वाली वृद्धि से उत्तर प्रदेश को इस वर्ष करीब 4,00,000 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है। विदेशी स्टॉक मार्केट रिसर्च फर्म जेफरीज का दावा है कि विजिटर्स की संख्या के मामले में अयोध्या वेटिकन सिटी और मक्का को पीछे छोड़ देगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोध्या में सालाना लगभग 5 करोड़ भक्तों के आने की उम्मीद है, जो कि ना सिर्फ यूपी के अंदर बल्कि भारत में भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाएगा।
उत्तर प्रदेश के वार्षिक राजस्व में बढ़ोतरी होगी इसके साथ ही अयोध्या के सालाना राजस्व में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। जैसे कि आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी हर साल 2.5 करोड़ भक्त आते हैं और 1,200 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व होता है। जबकि वैष्णो देवी में सालाना 80 लाख श्रद्धालु आते हैं और 500 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व प्राप्त होता है। आगरा में ताज महल सालाना 70 लाख पर्यटकों को आकर्षित करता है, जिससे 100 करोड़ रुपये का राजस्व होता है, जबकि आगरा किला में 30 लाख पर्यटक आते हैं, जिससे 27.5 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व होता है।
भारत का एक नया मील का पत्थर-संरचनात्मक और आध्यात्मिक दोनों अयोध्या के क्षितिज पर सुरुचिपूर्ण बलुआ पत्थरों के नए युग के वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में उभरता है। जिसे भगवान राम के प्रति समर्पण और भक्ति के साथ शिल्पकारों द्वारा परिश्रमपूर्वक उकेरा गया है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर एक विशाल संरचना है। बहुत ही सुन्दर,अतुलनीय और परम पावन स्थल। श्री रामलला का विग्रह अति सुन्दर और अकथनीय।अद्भुत,अद्भुत और अद्भुत है। यह इंजीनियरिंग चुनौतियों पर काबू पाने और प्रकृति के प्रति उचित संवेदनशीलता के साथ बनाया गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिर का निर्माण “देश के कुछ सर्वश्रेष्ठ दिमागों” के “सामूहिक ज्ञान” का परिणाम हैभव्य संरचना के निर्माण में किसी भी लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है। मन्दिर निर्माण के लिए पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से मंगाए गए हैं।
श्री चम्पत राय ने कहा, “संपूर्ण मंदिर अधिरचना अंततः तीन मंजिला होगी-जी 2।” मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए पर्यटक पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियाँ चढ़ेंगे। पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर पूर्व से पश्चिम तक 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। उत्खनन कार्य के दौरान, यह पाया गया कि ज़मीन आधारशिला रखने के लिए अनुपयुक्त थी, एक चुनौती जिसे इंजीनियरों ने एक “कृत्रिम नींव” बनाकर पार कर लिया, जिस पर अधिरचना बैठती है। भगवान हनुमान, अन्य देवताओं, मोरों और फूलों के पैटर्न की छवियां पत्थरों पर उकेरी गई हैं, जो संरचना को एक दिव्य रूप प्रदान करती हैं।
मंदिर निर्माण से जुड़ी कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने दावा किया है कि राम मंदिर अगले एक हजार साल तक बना रहेगा। इसकी इंजीनियरिंग व डिजाइन इस प्रकार से की गई है कि यह एक हजार साल से भी ज्यादा समय तक इसके ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा। मील का पत्थर साबित होगा राम मंदिर