यूपीए-2 की सरकार ने 2011 में सोसियो-इको कास्ट सेन्सस कराया,पर भाजपा ने उजागर नहीं किया।निषाद जातियों को आरक्षण देने में नाटकबाजी कर रही भाजपा सरकार।
लखनऊ। यूपीए-2 की सरकार ने सेन्सस-2011 में सामाजिक-आर्थिक व जातिगत जनगणना कराया था।संविधान सम्मत सामाजिक न्याय के लिए जातिगत व वर्गीय आधार पर जनगणना आवश्यक है।उक्त के संदर्भ में राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व कांग्रेस नेता चौ0 लौटनराम निषाद ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने सेन्सस-2011 में कास्ट सेन्सस कराया था।लेकिन जब 15 जून,2016 को आँकड़ा घोषित करने की बारी आई तो अपने को पिछड़ी जाति का बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओबीसी के आंकड़ों को घोषित नहीं किया।
सेन्सस-2011 के आधार पर एससी, एसटी,धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग(मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई, बौद्ध,जैन,पारसी,रेसलर),ट्रांसजेंडर/थर्डजेंडर, दिव्यांग आदि की जनसंख्या घोषित कर दी गयी,लेकिन ओबीसी के आंकड़े दबा दिये गए।उन्होंने भाजपा सरकार से पूछा है कि आखिर ओबीसी की जातिगत रिपोर्ट व जनसांख्यिकीय आँकड़ा घोषित करने में कौन सी राष्ट्रीय क्षति हो जाएगी।लोकसभा चुनाव-2019 में राजनीतिक लाभ उठाने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 5 जून,2018 को सेन्सस विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की मीटिंग कर बयान जारी किए थे कि सेन्सस-2021 में ओबीसी की जनगणना विशेष प्राथमिकता से कराकर 2024 तक आंकड़े घोषित कर दिए जाएंगे।परन्तु इस सरकार ने ओबीसी का कास्ट सेन्सस कराने में असमर्थता जताते हुए उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर सीधे तौर पर मना कर दिया।
मिशन-2022 में कांग्रेस की सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश में कास्ट व क्लास सेन्सस कराया जाएगा।संविधान के अनुच्छेद-15(4),16(4) व 16(4-ए) की मंशानुसार ओबीसी को जनसँख्यानुपातिक हिस्सेदारी देने के लिए कांग्रेस आगे बढ़ेगी।भाजपा सरकार गेल, भेल,सेल,रेल,ओएनजीसी, पोर्ट ट्रस्ट,एअरपोर्ट,कोल इंडिया,बीएसएनएल,एमटीएनएल आदि को निजी हाथों में देकर प्रतिनिधित्व से वंचित करने व देश की अर्थव्यवस्था को अडानी,अम्बानी जैसे चंद पूंजीपतियों के हाथों नीलाम करने में जुटी है।बैंकों के निजीकरण से 10 लाख अधिकारी, कर्मचारी बेकार हो जाएंगे।सरकारी संस्थानों,उपक्रमों का निजीकरण देश के लिए घातक है।जो भी सरकारी संस्थान,उपक्रम हैं,सभी कांग्रेस की सरकार ने देश की तरक्की के लिए स्थापित किया था।बैंकों का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी की सरकार ने किया था।
निषाद जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए भाजपा व निषाद पार्टी की मिलीभगत से नाटकबाजी की जा रही है।उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी के अध्यक्ष अंधेरे में ही तीर चलाते रहे हैं।ये स्वघोषित पोलिटिकल गॉडफादर ऑफ फिशरमैन बनते हैं,पर इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल/परिभाषित करने की संवैधानिक प्रक्रिया का एबीसी भी नहीं जानते।उन्होंने कहा कि संजय निषाद 4 महीने से चिल्ला रहे थे,मीडिया ट्रायल करा रहे थे कि मझवार की पर्यायवाची जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए गृहमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि की पूरी सहमति बन गयी है,बस घोषणा की देरी है।कहा कि पहले निषाद पार्टी ने नारा दिया-“अधिकार पाओ,सरकार बनाओ” का और 17 दिसम्बर की होर्डिंग्स आदि में “सरकार बनाओ,अधिकार पाओ” लिखा गया।तभी निषाद पार्टी व भाजपा के सांठ गाँठ का पता चल गया था कि निषाद एक बार फिर धोखे के शिकार होंगे।रैली में भीड़ जुटाने के लिए प्रचारित किया गया था कि गृहमंत्री व मुख्यमंत्री आरक्षण की घोषणा कर निषाद समाज को बड़ी सौगात देंगे,पर आई हुई भीड़ निराश हो वापस चली गयी।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा 20 दिसम्बर को आरजीआई को मंझवार के संबन्ध में जो जानकारी पत्र भेजकर माँगी गयी है,यह सिर्फ नाटकबाजी है।