241 साल बाद भव्य रूप लेगा काशी विश्वनाथ धाम

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  • ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वतंत्र भारत में पहली बार देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विस्तार एवं जीर्णोद्वार किया जा रहा तथा आम जनमानस के लिए 13 दिसम्बर 2021 को लोकार्पण किया जायेगा।
  • देश के लगभग 241 वर्ष पूर्व हिन्दू शासक महारानी होल्कर द्वारा जीर्णोद्वार किया गया था तथा पंजाब केशरी महाराजा सरदार रणजीत सिंह द्वारा 182 वर्ष पूर्व मंदिर के शिखरों में स्वर्ण जर्णित कराया गया था।
  • महारानी स्वयं मां अन्नपूर्णा की अवतार थी तथा महाराजा स्वयं भगवान कार्तिकेय के अवतार थे ऐसा उल्लेख मिलता है।
  • देश के प्रधानमंत्री हमारे मोदी जी स्वयं भगवान शंकर/रूद्र के अवतार है तथा हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी स्वयं महायोगी र्भतृहरि के अवतार है तथा मोहन राव भागवत जी स्वयं वृहस्पति के अवतार है ऐसा आम जनमानस एवं मेरा मानना है।

डा0 मुरली धर सिंह


श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर का अमर तटिनी पुण्य सलिला जाह्नवी/गंगा जी के तट पर विश्व के पश्चिमी तट पर बसी विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी भारत की सांस्कृतिक राजधानी है। भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित त्रैलोक्य प्यारी मोक्षदायिनी काशी को भारत में शिव नगरी के रूप में माना जाता है। इस नगरी के हृदय में स्थित श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर में विश्वनाथ जी का ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठित है। भारत ही नहीं अपितु विश्व के सभी देशों से श्रद्धालु यहाँ पधार कर विश्वेश्वर ज्योर्तिलिंग का दर्शन-पूजन कर आत्मिक शान्ति एवं आलोक प्राप्ति का पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन से तत्वज्ञान एवं मोक्ष प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि विश्वनाथ जी के दर्शन से सभी द्वादश ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का फल मिलता है। क्योंकि यह मां गंगा के दक्षिणी वाहिनी किनारे स्थित है।


समस्त भारतवासियों में इस मन्दिर के प्रति अटूट श्रद्धा एवं अखण्ड विश्वास है। इसका निर्माण अन्तिम बार इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर (1725 से 1795) ने सन् 1780 में कराया था। सन् 1785 में प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिग्स की आज्ञा से तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट मो0 अब्राहिम खाँ ने बाबा विश्वनाथ मन्दिर के सिंहद्वार के सामने नौबतखाना बनवाया जहाँ प्रतिदिन भोग के समय नगाड़ा एवं शहनाई बजती है।


लोकमानस में इस ज्योर्तिलिंग का एक बिम्ब है जिसके साथ घनिष्ठता के साथ जुड़ा हुआ है हमारा सांस्कृतिक अतीत और हमारी उच्चतम आध्यात्मिक चेतना आदि शङ्कराचार्य से लेकर स्वामी रामष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द, गोस्वामी तुलसीदास, दयानन्द सरस्वती, गुरुनानक आदि के द्वारा यह लिङ्ग पूजित है। धार्मिक और आध्यात्मिक वैशिष्ट्य के साथ-साथ यह ज्योर्तिलिंग राष्ट्रीय एकता का स्तम्भ है।


दिनांक 28 जनवरी 1983 को तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार द्वारा इस मन्दिर का अधिग्रहण कर इसकी व्यवस्था एवं प्रबन्ध का कार्य हेतु श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास का गठन किया गया था तथा इस न्यास के प्रथम अध्यक्ष पूर्व काशी नरेश डा0 विभूति नारायण सिंह एवं कार्यपालक समिति के सभापति मण्डलायुक्त वाराणसी को नामित किया गया था। आज भी इस ट्रस्ट में काशी के अनेक विद्वान तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो0 एवं काशी विद्वत परिषद के पूज्य विद्वान है। जो इस कार्य में मा0 प्रधानमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी का इस कार्य में सहयोग कर रहे है।


काशी विश्व नाथ मंदिर के शिखर में सोना लगवाने का कार्य शेरे पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह जी द्वारा (1780 से 1839) ने वर्ष सन् 1838 में शुरू किया था इनकी मृत्यु अचानक 1839 में हो गयी। इसके कारण यह कार्य रूक गया तथा इनका पूरा संकल्प था कि मंदिर के तीनों शिखर पर सोना नही लग पाया। इनका पूरा संकल्प था कि तीनों शिखर पर सोना मंडित कराया जाय। तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के शिखर पुरूष एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह द्वारा इस कार्य को पूरा कराया गया तथा उस समय प्रदेश सरकार में संस्कृति मंत्री रमेश पोखरयाल निशंक जी थे, जो इस कार्य में रूचि दिखायी थी। उस समय संयोग से मैं सूचना अधिकारी के पद पर वाराणसी में तैनात था और मण्डलायुक्त डी0पी0 सिंह थे एवं डी0आई0जी0 डी0पी0 सिन्हा थे। इन लोगों के साथ मुझे समय-समय पर उन बैठकों में जाने का मौका मिला था। मेरा छात्र जीवन भी उदय प्रताप महाविद्यालय एवं काशी हिन्दू विवि से रहा। शिक्षा एवं सेवाकाल दोनों मिलाकर मैं काशी में 11 साल प्रवास किया। इस समय इस नगर की महिमा और बाबा विश्वनाथ की कृपा से आच्छादित हुआ।


काशी विश्वनाथ मंदिर का मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा जीर्णोद्वार का बीड़ा वहां से 2014 में सांसद बनने के बाद निर्णय लिया गया तथा मोदी जी ने कहा कि ‘मैं काशी आया नही हूं मुझे गंगा मैइया एवं बाबा विश्वनाथ ने बुलाया है और मुझे इस नगर के पुरातन गौरव को स्थापित करते हुये भारत को विश्व गुरू बनाना है। इस काम मेें बाबा विश्वनाथ एवं बाबा सोमनाथ मेरी मदद करेंगे। इसी संकल्प को आगे बढ़ाते हुये मोदी जी ने विश्वनाथ धाम कोरीडोर का शिलान्यास 8 मार्च 2019 में किया था। उस समय उन्होंने संकल्प लिया था कि इस कार्य को शीघ्र पूरा किया जायेगा। यह एक सौभाग्य की बात है कि उस समय नगर आयुक्त के पद पर श्री विशाल सिंह जी कार्य कर रहे थे और विशाल सिंह जी द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर कोरीडोर बनाने में विशिष्ट भूमिका निभायी थी और उस समय वह पीसीएस संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारी थे तथा उनका 5 अगस्त 2020 में प्रधानमंत्री जी द्वारा श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन एवं शिलान्यास के बाद अयोध्या में नगर आयुक्त पद पर तैनाती दी गयी। श्री विशाल सिंह जी यहां युद्वस्तर पर कार्य कर रहे है तथा भगवान विश्वनाथ और भगवान राम की कृपा से वे अब आई0ए0एस0 संवर्ग के अधिकारी भी बन चुके है। विगत दिवस वाराणसी भ्रमण के समय आम जनमानस में काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास इनकी विशेष चर्चा सुनने को मिली जो एक सुखद अनुभूति कराती है।  

   
काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वतंत्र भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नायक देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा विस्तार एवं जीर्णोद्वार किया जाना एक ऐतिहासिक एवं साहसिक निर्णय है इसलिए श्री मोदी जी को एक अवतारिक पुरूष साक्षात रूद्रअवतार के रूप में मेरा आकलन है जो भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, मानववाद की पराकाष्टा पर ले जाने वाला यह कदम है मुझे सौभाग्य है कि भगवान महादेव के 12 ज्योर्तिलिंगों में सभी का दर्शन करने का सौभाग्य मिला है जिसमें केदारनाथ, शोभनाथ, मर्लिकार्जुन, महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्य नाथ, भीमशंकर, रामेश्वरम्, नागेश्वरनाथ, त्रयम्बकेश्वर, घृहिणेश्वर एवं बाबा विश्वनाथ जी है। लेकिन देखा जाय कि हमको विशिष्ट अलिंगन एवं पूजन करने का ज्यादा सौभाग्य मां गंगा (क्षत्राणी) के किनारे स्थित बाबा विश्वनाथ जी का ही मिला है।


स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहला ऐसा मौका है जब श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र को विस्तार दिया जा रहा है। इससे पहले 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था और महाराजा रणजीत सिंह ने 1839 में सोने का छत्र बनवाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ऐसे शासक हैं, जिन्होंने करीब 241 साल बाद श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को विस्तार देकर इसका सौंदर्यीकरण करा रहे हैं। प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना श्री काशी विश्वनाथ धाम की इमारतें अब अपने स्वरूप में आ गयी हैं।


241 साल बाद भव्य रूप लेगा काशी विश्वनाथ धाम

तकरीबन 800 करोड़ की लागत से बन रहे श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट का शिलान्यास 8 मार्च 2019 को देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी ने किया था। ऐतिहासिक रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा वर्ष 1780 में कराए जाने के लगभग 241 वर्षों के बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम मूर्त रूप लेने जा रहा है। मिले 40 से ज्यादा अतिप्राचीन मंदिर के इस प्रोजेक्ट की बात करें इसका कुल क्षेत्रफल 39310.00 वर्ग मीटर है। जिसके अंतर्गत कुल 296 आवासीय, व्यावसायिक, सेवईत और न्यास इत्यादि भवन मौजूद रहे। इनके ध्वस्तीकरण के उपरांत परियोजना के अंतर्गत लगभग 21505.92 वर्ग मीटर क्षेत्रफल उपलब्ध हुआ। भवनों के ध्वस्तीकरण के दौरान विभिन्न भवनों के अंदर 41 अतिप्राचीन मंदिर पाए गए हैं। जिनका उल्लेख वेद-पुराण व धार्मिक पुस्तकों में भी पाया गया है। प्राप्त सभी मंदिर काशी के प्राचीन धरोहर हैं। विश्रामालय, संग्रहालय सहित होंगे तमाम भवन परियोजना में मंदिर प्रांगण का विस्तार कर इसमें विशाल द्वार बनाए गये हैं। इसके अलावा एक मंदिर चैक का निर्माण किया गया है। इसके दोनों तरफ विभिन्न भवन जैसे कि विश्रामालय, संग्रहालय, वैदिक केंद्र, वाचनालय, दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, व्यावसायिक केंद्र, पुलिस एवं प्रशासनिक भवन, वृद्ध एवं दिव्यांग के लिये एक्सीलेटर एवं मोक्ष भवन इत्यादि निर्मित किए गये हैं। प्रोजेक्ट के अंतर्गत 330.00 मीटर लम्बाई एवं 50.00 मीटर चैड़ाई एवं घाट से एलिवेशन 30 मीटर क्षेत्र में निर्माण कराया गया है।


कॉरिडोर निमार्ण के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से दशाश्वमेध घाट पर प्रति वर्ष आने वाले करोड़ों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं का आवागम एवं दर्शन-पूजन करने पहले की अपेक्षा सुगम हो जाएगा। इन इमारतों में एम्पोरियम व मंदिर चैक का प्रांगण काफी महत्वपूर्ण है। सावन और महाशिवरात्रि जैसे महापर्वों में भक्त यहां रूकेंगे। मंदिर चैक के व्यूइंग गैलरी से गंगा व बाबा के शिखर का दर्शन हो पाएगा। वहीं एम्पोरियम में देश की हस्त निर्मित, हैंडीक्राफ्ट आदि चीजें एक छत के नीचे मिलेंगी। श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर क का विकास करीब 50,200 वर्ग मीटर में 339 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है। भव्य आनंद वन में सुरक्षा, में म्यूजियम, फैसिलेशन सेण्टर, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष, भवन जैसे 24 भवन का निर्माण हो रहा है। विश्वनाथ मंदिर में वास्तुशिल्प का अद्धभुत नजारा भी देखने को मिलेगा। परिसर के पूर्वी द्वार से बाहर निकलते ही भक्त मंदिर चैक के क्षेत्र में पहुंच जाएंगे। यही रास्ता आगे मां गंगा के दर्शन भी कराएगा। इंग्लिश के यू आकार का भूतल और दो मंजिल का यह प्रांगण करीब 35000 स्क्वायर फीट का है। मंदिर चैक का मुख्य द्वार यही है। श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट का कार्यालय जो एक गली में था वह इस भवन के पहली मंजिल पर स्थित होगा, जिसका प्रधानमंत्री जी द्वारा लोकार्पण किया जाना है। पूर्व की व्यवस्था के अनुसार रूद्राभिषेक एवं दान आदि की रसीद कटने की व्यवस्था प्रथम तल पर ही होगी।


इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के गुलाबी चूना पत्थरों एवं मिर्जापुर के पत्थरों से किया जा रहा है। बड़ी-बड़ी मशीने वहां पर वर्तमान में भी कार्य कर रही है और आज कल दिन की बजाय रात्रि में युद्वस्तर पर कार्य किया जा रहा है। हमारी एवं नयी पीढ़ी को यह सौभाग्य होगा कि बाबा विश्वनाथ मंदिर का दर्शन पूरा एक खुले वार्तावरण में होगा, क्योंकि हम लोग की उम्र लगभग पांचवे दशक के पार है कभी कल्पना भी नही की थी कि यहां इतनी जगह हो सकती है। काशी की जनसंख्या पूरे जनपद की लगभग 39 लाख है। उसमें शहर की जनसंख्या लगभग 14 से 15 लाख है। खुद वहां की आबादी भी इस घटना को देखकर इस नवनिर्माण को देखकर आश्चर्य चकित है प्रत्येक दिन नार्मल सामान्य समय में वाराणसी के अंदर 20 से 35 हजार श्रद्वालुओं तक आते है तथा इसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या भी 2 से 3 हजार होती है और श्रवण मास में एवं शिवरात्रि के समय यह संख्या अपार लाखों में पहंुच जाती है। यह जहां तक श्रद्वालु का केन्द्र होगा वही विश्व पर्यटन मानचित्र पर वाराणसी-सारनाथ एवं विंध्याचल धाम छा जायेगा। हमारी राम नगरी अयोध्या को संवारने और मंदिर बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है तथा यह भी एक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अधीन है। मेरा प्रधानमंत्री से एवं मुख्यमंत्री जी से स्पष्ट अनुरोध भी है और मांग भी है कि जिस प्रकार हिन्दू संस्कृति में सनातन संस्कृति में पूजा पद्वति के लिए एक डेªस कोड या वस्त्र का निर्धारण किया जाय ऐसा ही निर्धारण महाकाल, उज्जैन मंदिर न्यास में है।

ऐसा ही निर्धारण तिरूपती बाला जी न्यास में है। ऐसा ही निर्धारण श्री सोमनाथ मंदिर में है जिसके प्रधानमंत्री जी स्वयं अध्यक्ष है। हमारे काशी विश्वनाथ मंदिर एवं हमारे रामलला मंदिर के लिए भी दर्शनार्थियों के लिए डेªस कोड/वस्त्र निर्धारण किया जाय यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एवं भारतीय जीवन पद्वति का एक सार्थक परिणाम होगा। विश्वनाथ मंदिर चैक की इमारत को हेरिटेज लुक देने के लिए राजस्थान के बालेश्वर के गुलाबी पत्थरों को दीवारों पर लगाया जा रहा है। इससे अंदर का तापमान संतुलित रहेगा। मंदिर चैक पर बने आकर्षक इमारत पर जाने के लिए सीढ़ियों के साथ लिफ्ट की भी सुविधा है, जिससे बुजुर्गों और दिव्यांगों को परेशानी न हो। पूर्व की तरफ मां गंगा के दर्शन कर सकते हैं। वहीं पश्चिम की तरफ से बाबा दरबार का अद्भुत नजारा दिखेगा। भूतल पर प्रतीक्षालय है। भगवान शंकर के प्रिय पौधे लगाए जाने की भी योजना है। वाराणसी-काशी-सारनाथ को अलग नही किया जा सकता, क्योंकि यह भगवान विष्णु के 23वें अवतार भगवान गौतम बुद्व को इसी सारनाथ में ज्ञान के बाद पहला प्रवचन देने का सौभाग्य मिला था। भगवान बुद्व को विश्व का प्रकाश पुंज कहा जाता है तथा भगवान शंकर को त्रिलोक का प्रकाश कुंज कहा जाता है। भगवान शंकर का नाम एक निरंजन भी है। भगवान शंकर की शक्ति निरंजना के आर्शीवाद से ही गौतम बुद्व को बौद्वि सत्व प्राप्त हुआ था तथा काशी के बारे में यह भी धारणा है कि काशी कभी सोती नही हमेशा जागती रहती है, क्योंकि मृत्यु के देवता यमराज हमेशा जागते है इसीलिए भगवान शंकर भी हमेशा यहां जागकर सभी को मोक्ष प्रदान करते है। इसको गंगा के किनारे स्थित 108 घाटों को देखा जा सकता है जिसमें मणिकर्णिका एवं दशामेघ घाट प्रमुख है।


कार्यक्रम की तैयारियां हमारे उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना, संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा भारत सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से की जा रही है जिसमें मुख्य रूप से इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी तथा उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डा0 नीलकंठ तिवारी जो काशी दक्षिणी क्षेत्र के जो विधायक भी है रात दिन परिश्रम कर तैयारियां की जा रही है तथा मेरे सहपाठी तथा महानगर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष विद्यासागर राय भी अब तक परिश्रम कर रहे है जो एक सराहनीय कदम है तथा स्वागत योग्य है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के गौरवशाली इतिहास एवं वर्तमान भव्य स्वरूप पर आधारित पुस्तक का प्रकाशन। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गौरवशाली इतिहास एवं वर्तमान भव्य स्वरूप पर फिल्म निर्माण। श्री काशी के समस्त मंदिरों/ऐतिहासिक भवनों पर फसाड लाइटिंग एवं सौन्दर्यीकरण। श्री काशी विश्वनाथ धाम के समीप गलियों का पुनर्निर्माण एवं सौन्दर्यीकरण। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष बस, ट्रेन एवं हवाई यात्रा सेवाओं का संचालन। श्री काशी विश्वनाथ धाम दर्शन हेतु प्रत्येक राज्य से बारी-बारी प्रतिदिन एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था। प्रदेश के 2 जनपदों से क्रम से प्रतिदिन 2 बसों से श्रद्धालुओं का आगमन। काशी के एक विकास खण्ड से क्रम से प्रतिदिन एक बस से श्रद्धालुओं का आगमन। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में डिजिटल डोनेशन की व्यवस्था। उद्घाटन दिवस पर घाटों पर लेजर शो एवं आतिशबाजी प्रमुख है। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह भी विचार किया जा रहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के काॅरिडोर के लोकार्पण कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने के लिए 15 दिवसीय काशी में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाय जो एक सार्थक पहल है तथा नया वर्ष 2022 काशी वासियों के लिए नये सांस्कृतिक परिवेश में ले जायेगा तथा आम जनमानस को हार्दिक बधाई।

नोट- इस विशेष लेख के लेखक उत्तर प्रदेश सरकार में उपसूचना निदेशक अयोध्या है तथा इसके पूर्व वाराणसी, मथुरा, प्रयाग, हरिद्वार आदि आधे दर्जन से ज्यादा जनपदों में तैनात है तथा इनकी शिक्षा वाराणसी, प्रयाग आदि प्रसिद्व स्थानों पर हुई है। यह लेखक के अपने विचार है इसको भारतीय संविधान 1950 में प्रदत्त अधिकारों के तहत लिखा गया है एवं हनुमान जी की कृपा तथा ईश्वरीय आदेश से विशेष लेख जारी किया जा रहा है। कोई भी इसके सम्बंध में जानकारी प्राप्त कर सकता है। [/responsivevoice]