आईएएस बी0चंद्रकला एक उदाहरण बनकर उभरी…..

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नई पीढ़ी की तमाम महिला आईएएस अफिसर्स अपनी ज़िंदगी में इस कदर आगे बढ़
रहीं हैं, कि पीछे छूटने वाला हर पल उन्हें इतिहास का हिस्सा बनाते हुए लोगों की दुआओं का हकदार भी बना रहा है।दरअसल राजनेता लोकतंत्र के अस्थायी प्रतिनिधि होते हैं और नौकरशाह स्थायी। अत: नौकरशाहों के माध्यम से ही जनतंत्र के सपनों में रंग भरा जा सकता है। जनता का दु:ख दर्द दूर करने के लिए ऐसा ताना-बाना बुना जा सकता है, कि आईएएस अधिकारी लोगों की स्मृतियों का अविभाज्य हिस्सा बन जायें।

नई पीढ़ी की तमाम महिला आईएएस अधिकारी इसी आदर्श को अंगीकार करते हुए अपनी जिन्दगी में इस कदर आगे बढ़ रहीं हैं कि पीछे छूटने वाला हर पल उन्हें इतिहास का हिस्सा बनाते हुए लोगों की दुआओं का हकदार भी बना रहा है। पेश है ऐसी ही महिला नौकरशाहों के बारे में कुछ कही-अनकही बातें।

आईएएस बी. चंद्रकला जो एक उदाहरण बनकर उभरी हैं ….

मूलत: आंध्रप्रदेश के रामागुंडम की रहने वाली बी. चन्द्रकला संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित 2008 बैच की आईएएस अधिकारी है। बी. चन्द्रकला को उनकी ईमानदारी, मेहनत और लगन के लिए जाना जाता है। डीएम चन्द्रकला अपनी सुलभ छवि के कारण आम जनता में काफी लोकप्रिय हैं।

साल 2008 बैच की आईएएस अधिकारी भुक्या चंद्रकला मूल रूप से तेलंगाना के करीमनगर की रहने वाली हैं और उन्होंने अपनी पढ़ाई हैदराबाद से की है।आईएएस बनने के बाद साल 2009 में उनकी पहली तैनाती इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के फूलपुर में एसडीएम के रूप में हुई, उसी समय से वो सुर्ख़ियों में आनी शुरू हुईं और ये क्रम अब तक बना हुआ है।साल 2012 में बी. चंद्रकला को हमीरपुर का डीएम बनाया गया और 2017 तक वो कुल पांच ज़िलों में डीएम की ज़िम्मेदारी निभा चुकी थीं।

जिलाधिकारी रहते हुए बी. चन्द्रकला ने विकास कार्यों में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपनी खास पहचान बना ली है। अपनी विकासपरक सोच की वजह से वे महिलाओं के बीच लोकप्रिय हुई हैं। उनकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह जनता और खुद के बीच के फासले को कम करना रहा है। वह जनता की समस्याएं बन्द कमरे की बजाय ऑफिस के बरामदे में सुनना पसन्द करती हैं।


ग्रीनयूपी-क्लीनयूपी अभियान के तहत बी. चन्द्रकला की टीम ने 36 घंटे तक लगातार सफाई करने का विश्व कीर्तिमान इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराया है। इंडिया बुक और न्यू इण्डिया मैगजीन द्वारा उनको ‘स्वच्छ भारत अवार्ड’ से भी नवाजा जा चुका है।

आईएएस बी. चन्द्रकला को बच्चों से काफी लगाव है इसी कारण वह अपने पद पर रहते हुए जिस भी शहर में कार्य करती हैं, वहां स्थित अनाथालयों में जाकर बच्चों से मिलती है और उन्हें भोजन खिलाती, टॉफियां बांटती हैं। उनके इसी आचरण के कारण उन्हें क्रडियर मम्मी भी कहा जाता है। वह खुद भी एक बच्ची की मां है। मथुरा में अपने छोटे से कार्यकाल के बाद जब वे वहां से विदा हुई तो एक अनाथालय के बच्चों का उनसे इतना लगाव हो गया था कि वे उनसे बिछड़ते ही रो पड़े। यही नहीं कई सरकारी विद्यालयों में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम भी करती हैं।

पिछले दिनों द बेटर इण्डिया ऑनलाइन वेबसाइट ने रेटिंग जारी की थी। इसमें देश भर में आईएएस अफसरों में बी. चन्द्रकला को तीसरा स्थान मिला था। बी. चन्द्रकला तकनीक से भी खासा जुड़ाव रखती हैं। दीगर है, कि मथुरा के बाद बुलन्दशहर स्थानांतरित हुई बी. चन्द्रकला ने विदेश में बैठे-बैठे जिले का ऑनलाइन चार्ज ले लिया था। जो कि सूबे का शायद यह पहला मामला था। जब किसी
अधिकारी की ज्वाइनिंग मेल पर हुई। सारी प्रकिया ऑनलाइन हुई और मेल पर ही उन्होंने सीडीओ को चार्ज भी दे दिया था। तब वह दुबई में थीं। संभवत: ये प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ था। इसलिए इनकी ज्वाइनिंग काफी चर्चा में भी रही थी।

बी. चन्द्रकला के व्यक्तित्व में एक और तमगा उस वक्त जुड़ गया जब उन्हे नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस मसूरी में विदेशी सिविल सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया। 8 सितम्बर को बी. चन्द्रकला ने बांग्लादेश के 16 डिप्टी कमिश्नर रैंक के अफसरों की क्लास ली और उन्हें गुड गवर्नेन्स के गुर सिखाये।