जेल अफसरों का गजब कारनामा..!

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लखनऊ जेल अफसरों का अजब गजब कारनामा। गलत रिहाई की घटना छिपा गए लखनऊ जेल अफसर! पहले गलत रिहाई, फिर गलत तरीके से जेल में कराई गई आमद। तीन माह तक घटना को छिपाए रखे अफसर।

राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की जिला जेल का एक अजब गजब कारनामा प्रकाश में आया है। लखनऊ जेल अधिकारियों ने पहले एक बंदी की गलत रिहाई कर दी। घटना की जानकारी होने के बाद आनन फानन में टीम गठित कर रिहा किए गए बंदी को पकड़वाकर बगैर औपचारिकताएं पूरी किए ही जेल में दाखिल कर लिया गया। दिलचस्प बात तो यह रही कि जेल अधिकारियों ने गलत रिहाई की सूचना उच्चाधिकारियों तक को देना मुनासिब नहीं समझा। मामले का खुलासा होने के बाद से जेल अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। अब वह इस गंभीर मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ जेल से गलत रिहाई की घटना बीते अक्टूबर माह की है। विचाराधीन बंदी तौकीर हुसैन पुत्र जायद एक गंभीर मामले में जेल में बंद था। बीती 08 अक्टूबर 2025 को एक मामले में तौकीर हुसैन का रिहाई फरमान जेल पहुंचा। सूत्र बताते है कि इस रिहाई फरमान से आने से पहले बंदी तौकीर हुसैन का बी वारंट जेल पहुंच गया था। इस वारंट को जेल अधिकारियों ने दस्तावेजों में दर्ज ही नहीं किया। बी वारंट को नजरअंदाज करके जेल अधिकारियों ने बंदी तौकीर को रिहा कर दिया। इस गलत रिहाई की जानकारी होते ही जेल प्रशासन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया।

सूत्रों का कहना है कि गलत रिहा हुए बंदी की खोज के लिए जेल प्रशासन के अधिकारियों ने टीम गठित की। टीम के सदस्यों ने गलत रिहा हुए बंदी को करीब 15 घंटे बाद पुनः गिरफ्तार कर बगैर किसी लिखापढ़ी के जेल में आमद कर ली। दिलचस्प बात यह है गलत तरीके से हुई रिहाई की सूचना विभाग के आला अफसरों तक को नहीं दी गई। यह मामला जेलकर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि जेल अधिकारियों ने पहले बंदी की गलत रिहाई की, इसके बाद जेल प्रशासन के अधिकारियों की बगैर लिखापढ़ी के जेल में आमद ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर इस संबंध में जब लखनऊ जेल परिक्षेत्र के डीआईजी रामधनी से बात करने का प्रयास किया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। जेल अफसरों का गजब कारनामा..!