

माँ कामाख्या धाम की चुनरी यात्रा इस बार भव्यता और श्रद्धा का अद्भुत संगम बनी। माँ कामाख्या धाम की भव्य चुनरी यात्रा में शामिल होकर अपर्णा यादव ने श्रद्धा की चुनरी अर्पित की। हजारों भक्त माँ की जयकारों के साथ शामिल हुए। महिलाओं और युवाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी ने यात्रा को और खास बना दिया। इस दौरान निष्पक्ष दस्तक संपादक ने उनकी आस्था और समाज को लेकर कुछ सवाल पूछे, जिनका उन्होंने बेहद सहज और स्पष्ट जवाब दिया। सवालों के दौरान अपर्णा यादव ने साफ किया कि उनकी यह यात्रा पूरी तरह धार्मिक और आस्था से जुड़ी है। उन्होंने कहा – “माँ कामाख्या की कृपा से यहाँ आने का सौभाग्य मिला है। राजनीति और आस्था को अलग रखना चाहिए। मेरी उपस्थिति केवल श्रद्धा और विश्वास की अभिव्यक्ति है।” माँ कामाख्या धाम चुनरी यात्रा पर अपर्णा यादव का इंटरव्यू
अपर्णा यादव से बातचीत के प्रमुख अंश —
माँ कामाख्या धाम चुनरी यात्रा में आपकी व्यक्तिगत आस्था कैसी जुड़ी ?
माँ कामाख्या शक्ति की अधिष्ठात्री हैं और नारी शक्ति की प्रतीक भी। बचपन से ही मुझे शक्ति साधना और माँ की भक्ति का संस्कार मिला है। चुनरी यात्रा मेरे लिए केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि माँ से जुड़ने का एक माध्यम है। जब हजारों श्रद्धालु माँ के जयकारों के साथ चुनरी अर्पित करते हैं तो उसमें जो ऊर्जा और आस्था होती है, वह अपने आप मेरे जीवन और विचारों से जुड़ जाती है। यह यात्रा मेरे लिए शक्ति, आस्था और समाज को जोड़ने का एक संगम है।

चुनरी यात्रा से महिला शक्ति और नारी सम्मान का क्या संदेश जाता है?
माँ कामाख्या स्वयं शक्ति और नारी सम्मान की प्रतीक हैं। चुनरी यात्रा यह संदेश देती है कि समाज में स्त्री शक्ति का सम्मान सर्वोपरि है। जब हम माँ को चुनरी अर्पित करते हैं, तो यह न केवल हमारी आस्था का प्रतीक होता है, बल्कि हर बेटी, बहन और माँ के प्रति आदर और सम्मान की भावना का भी परिचायक है। यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि समाज तभी प्रगति कर सकता है जब नारी का सम्मान और उनकी शक्ति को उचित स्थान दिया जाए।
धर्म और राजनीति को लेकर अक्सर विवाद होते हैं, आप इसे किस नजरिए से देखती हैं?
मेरे लिए धर्म आस्था और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, जबकि राजनीति सेवा और जनकल्याण का माध्यम है। दोनों को मिलाकर विवाद पैदा करना सही नहीं है। धार्मिक आस्था व्यक्ति को शक्ति और प्रेरणा देती है, और राजनीति उसी शक्ति के साथ जनता की भलाई के लिए कार्य करने का अवसर। मैं मानती हूँ कि धर्म का इस्तेमाल राजनीति में विरोधी को नीचा दिखाने के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि धर्म से मिली प्रेरणा से समाज की सेवा करनी चाहिए।
“धर्म से शक्ति और राजनीति से सेवा — यही मेरा संकल्प है। धर्म राजनीति का हथियार नहीं, समाज की सेवा की प्रेरणा है।”
विपक्ष अक्सर कहता है कि धर्म का उपयोग राजनीति के लिए हो रहा है —क्या यह सही है?
धर्म का असली संदेश है सत्य, करुणा और सेवा। अगर कोई इसे केवल सत्ता पाने का साधन बना लेता है तो यह गलत है। राजनीति को धर्म से प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन धर्म का इस्तेमाल सत्ता या विरोधियों को बदनाम करने के लिए नहीं होना चाहिए। मेरे लिए धर्म समाज और देश की भलाई का मार्गदर्शक है।

क्या चुनरी यात्रा जैसी धार्मिक यात्राओं से सामाजिक एकता मजबूत होती है?
माँ कामाख्या धाम की चुनरी यात्रा समाज में एकता और सांस्कृतिक चेतना की जीवंत मिसाल है। जब हजारों श्रद्धालु एक साथ माँ की आराधना में जुड़ते हैं, तो आस्था और ऊर्जा का ऐसा दिव्य संगम बनता है जो समाज को जोड़ने और सकारात्मक संदेश देने का अद्भुत माध्यम बन जाता है।माँ कामाख्या की चुनरी यात्रा — एकता, संस्कृति और सकारात्मक ऊर्जा का महापर्व।
सामाजिक संदेश के सवाल पर उन्होंने कहा – “जब हजारों श्रद्धालु माँ की आराधना में एक साथ शामिल होते हैं तो यह समाजिक एकता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक बनता है। इससे सांस्कृतिक चेतना और मेलजोल को बल मिलता है।”

माँ कामाख्या धाम की भव्य चुनरी यात्रा में अपर्णा यादव ने श्रद्धा की चुनरी अर्पित कर अपनी गहरी आस्था व्यक्त की। निष्पक्ष दस्तक संपादक से बातचीत में उन्होंने साफ कहा कि यह यात्रा पूरी तरह भक्ति और विश्वास का प्रतीक है, राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं। उन्होंने समाज में एकता और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश भी दिया।
विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले आरोपों पर उनका स्पष्ट जवाब रहा – “धार्मिक आयोजनों को राजनीति से जोड़ना उचित नहीं। ऐसे कार्यक्रम समाज को जोड़ते हैं, विभाजित नहीं करते। ये हमारी संस्कृति और आस्था को जीवित रखने का माध्यम हैं।”
अंततः अपर्णा यादव ने कहा कि -“धर्म से शक्ति और राजनीति से सेवा — यही मेरा संकल्प है। धर्म राजनीति का हथियार नहीं, बल्कि समाज की सेवा की प्रेरणा है। यह यात्रा मेरे लिए माँ के चरणों में भक्ति अर्पित करने का अवसर है। यह आत्मिक संतोष और ऊर्जा प्राप्त करने का साधन है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, आत्मिक जागरण भी है।” माँ कामाख्या धाम चुनरी यात्रा पर अपर्णा यादव का इंटरव्यू