कथावाचकों का अधर्म:कब तक अपमानित होंगी बेटियाँ..?

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कथावाचकों का अधर्म:कब तक अपमानित होंगी हमारी बेटियाँ..?
कथावाचकों का अधर्म:कब तक अपमानित होंगी हमारी बेटियाँ..?
राजू यादव
राजू यादव

“नारी का सम्मान करो – ये शास्त्रों में लिखा है। लेकिन क्या आज वही धर्म के ठेकेदार, कथावाचक और संत, महिलाओं को खुले मंच से गाली दे रहे हैं..?” आजकल के संत महिलाओं को मंच से खुले आम गाली दे रहे हैं और समाज को प्रदूषित करने वाले कथावाचक अनिरुद्धा चार्य सामाजिकता की सारी हदें पार कर चुके हैं और दूसरी तरफ बयान बाजी कर रहे हैं कि इस कलयुग में आप सत्य नहीं बोल सकते। किसी वेश्या को वेश्या नहीं कह सकते हो। अर्ध नग्न होते हुए अपने को सती -सावित्री कहलाना चाहती हैं। कथावाचकों की आखिर क्या हद होगी इन सब पर आखिर कार्यवाही कब होगी। कब तक यह समाज की महिलाओं को गाली देते रहेंगे। अभी हाल में ही आपने सुना होगा कथावाचक संत अनिरुद्धाचार्य ने 25 साल की औरतों के बारे में अश्लील बातें कही थी और खुले मंच से उन्हें अपमानित किया था। कथावाचकों का अधर्म:कब तक अपमानित होंगी बेटियाँ..?

दूसरी तरफ दूसरे कथा वाचक जो गृह मंत्री अमित शाह को भगवान शिव का अवतार बता रहे हैं. वह हम बाद में बताएंगे एक बार फिर तथाकथित कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने महिलाओं को फिर गाली दी है लेकिन हमारी समझ में नहीं आता है आखिर औरतों की इनकी कथा में जाती क्यों है आप सुने बेशर्म बाबा औरतों को कहता क्या है।अनिरुद्धा चार्य ने कहा की महिलायें पैसा वाले के साथ भाग जाती हैं ड्रम वाला केस हनी मून वाला केश आपने देखा होगा। अपवादों के सहारे संत समस्त महिला समाज को गली दे रहा है अपमानित कर रहा है।

अनिरुद्धा चार्य ने कहा की महिलायें पैसा वाले के साथ भाग जाती हैं ड्रम वाला केस हनी मून वाला केश आपने देखा होगा। अपवादों के सहारे संत समस्त महिला समाज को गली दे रहा है अपमानित कर रहा है।जरा सोचो मेरे दोस्तों औरतें आखिर उनकी कथा में जाती कैसे हैं यह बेशर्म बाबा कई बार माफ़ी भी मांग चुका है आखिर आप लोग इसकी कथा में किस वजह से जाती हैं या फिर बेइज्जत होने जाती है।

आज मैं आपको उसे मौलाना साजिद रशीदी पर भी चर्चा करूंगा जिसने सांसद डिंपल यादव के लिए बहुत ही अभद्र शब्द का इस्तेमाल किया है लेकिन उससे पहले सुनते हैं कथावाचक प्रदीप मिश्रा को जो मध्य प्रदेश के वासी हैं और अमित शाह को शिव का अवतार बता रहे हैं। कथावाचक प्रदीप मिश्रा, जिन्होंने मंच से गृह मंत्री अमित शाह को भगवान शिव का अवतार कह डाला।

“शिव का अवतार हैं अमित शाह”

सवाल ये है कि –
क्या ये कथा है या राजनीति का प्रचार मंच?
क्या संतों का काम भक्तों को भगवान से जोड़ना है या सरकार से..?

आपने सुना प्रदीप मिश्रा ने किस प्रकार से अमित साहा की कथा कर रहे हैं। अमित शाह कैसे हैं, क्या है, क्या करते हैं, आप सब जानते हैं, हमें नहीं याद है कि अमित शाह ने कब विष का प्याला पिया है, किसके लिए पिया है या फिर किसके कल्याण में पिया है, हां वह अलग बात है आज बीसीसीआई का अध्यक्ष उनका का सुपुत्र बना हुआ है. जिसे क्रिकेट का सी भी नहीं आता है. हमारे भगवान शिव ने जगत कल्याण के लिए विष का प्याला पिया था। जो जगत कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. उनसे गृहमंत्री अमित शाह की तुलना करना भगवान शिव का घोर अपमान करना है. लेकिन क्या यह वही लोग हैं जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद कहा था कि जो राम को लाए हैं हम उनको लाए हैं।

हाल ही में एक बार फिर तथाकथित कथा वाचक अनिरुद्ध आचार्य ने 25 साल की महिलाओं के लिए अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। मंच से, माइक पर, कैमरे के सामने। ये वही हैं जो हर बार माफी मांगते हैं… और फिर दोबारा वही भाषा बोलते हैं। तो क्या ये माफी सिर्फ एक स्क्रिप्टेड ड्रामा है..?

और चित्र में आप देखेंगे किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रभु श्री राम की उंगली पड़कर अयोध्या मंदिर की ओर ले जाते हुए होल्डिंग में दिखाई पड़ते हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने मोदी को भगवान विष्णु का अवतार बताया था। आखिर हमारे हिंदू भगवान या इष्ट देवों का अपमान कब तक होता रहेगा।

यह तो सच है कि सनातन सत्य है, सत्य रहेगा, जिसका ना कोई आदि है ना अंत है। सनातन अपने आप में पूर्ण है इसीलिए उसका बाल से बांका कोई कर नहीं सकता। कितने भी तथाकथित लोग आए और उसकी अवहेलना करें लेकिन सनातन का कुछ नहीं बिगड़ने वाला नहीं हैं।

कथावाचक प्रदीप मिश्रा धीरेंद्र शास्त्री अनिरुद्धचार्य भाजपा के पक्ष में खुला प्रोपेगेंडा परोसते रहते हैं जिसका लाभ भाजपा को चुनाव में प्राप्त होता है। इस कलयुग में अहंकार इतना बढ़ गया है कि लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है और जनता या समाज शांत मुक दशक बनकर उसे सुन व देख रही है।

साजिद रशीदी और डिंपल यादव दूसरी तरफ मौलाना साजिद रशीदी जो एक महिला सांसद डिंपल यादव पर घिनौनी टिप्पणी करता है।

याद कीजिए एक व्यक्ति साजिद रशीदी ने सांसद डिंपल यादव के बारे में कितनी अमर्यादित शब्द का इस्तेमाल किया था। सांसद डिंपल यादव एक मस्जिद में गई थी जहां पर रशीदी ने कहा की देखो सांसद डिंपल यादव किस तरह से नंगी बैठी हुई हैं सुने राशिद ने क्या कहा था। यह वही साजिद रसीदी है जो बीजेपीका समर्थन कर रहा था। इसके कई सारे तथ्य सामने आए हैं लेकिन इसे समाज में कुछ लोग जायज ठहरने आ जाते हैं जो जायज ठहराने आते हैं उनकी पैतृक सोच ही वैसी होती है अर्थात कहा जाए तो उनकी परवरिश ही उसीपरिवेश में होती है।

क्या हमारे देश में नेताओं की आलोचना का अधिकार महिला की अस्मिता को कुचलने की छूट दे देता है..?

मैं यहां यह कहना चाहूंगा अनिरुद्धा चार्य, प्रदीप मिश्रा, धीरेंद्र शास्त्री या फिर साजिद रशीदी हों जिनसे बहुत से हिंदू और मुसलमान कोई इत्तेफाक नहीं रखते हैं। इन बहुत से संतो को सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता है। ऐसे लोग महिलाओं समाज संविधान सब का अपमान करते हैं लेकिन इनका कुछ नहीं होता है।

अनिरुद्ध आचार्य महिलाओं का अपमान पर कई बार माफी मांगता है फिर भी उनका अपमान करने से बाज नहीं आता है। प्रदीप मिश्रा भी कई बार माफी मांग चुके हैं।

● कहां है महिला आयोग..?
● कहां हैं वो संस्थाएं जो नारी सम्मान की बात करती हैं..?
● क्यों नहीं होती ऐसे कथावाचकों की गिरफ्तारी.और सबसे बड़ा सवाल – हमारी बहनें, माताएं, बेटियाँ, आखिर ऐसे अपमानित “कथा मंचों” पर जाती ही क्यों हैं..?

जनता और महिलाओं से अपील

यह केवल महिला अपमान का मुद्दा नहीं है, यह हमारे समाज की मानसिक गुलामी, राजनीतिक लाभ की लालसा और धर्म की आड़ में चल रहे धंधों का नग्न प्रदर्शन है। अब समय आ गया है कि समाज धर्म और राजनीति दोनों के नाम पर हो रहे स्त्री अपमान के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज उठाए। यह वक्त है मौन तोड़ने का, यह वक्त है अपमान के विरुद्ध विद्रोह करने का।

मीडिया, समाज और राजनीतिक संगठनों की ज़िम्मेदारी:

● ऐसे संतों का सामाजिक बहिष्कार करो।
● ऐसे बयानों पर FIR दर्ज कराओ।
● अपने आत्म-सम्मान के लिए खड़े हो जाओ।

निष्पक्ष मीडिया को इन मुद्दों को लगातार दिखाना चाहिए।

राजनीतिक दलों को इसपर सख्त स्टैंड लेना चाहिए, चाहे वो उनके समर्थक संत हो या विरोधी।

सामाजिक संगठनों को ऐसे “संतों” का बहिष्कार करना चाहिए।

याद रखो –


शक्ति भी नारी है… और शांति भी। लेकिन जब अपमान हो, तो शक्ति का रूप ही जरूरी है यह देश, यह धर्म, यह संस्कृति – सबकी रक्षा आपके जागने से होगी।

प्रश्न उठते हैं:

  • क्यों नहीं होती सख्त कानूनी कार्रवाई..?
    महिला आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, पुलिस प्रशासन – ये सभी संस्थाएं अगर सक्रिय रूप से ऐसे मामलों में दखल नहीं देंगी तो समाज में गलत संदेश जाएगा कि मंच से गाली देना एक “संत” का विशेषाधिकार है। हमारा सवाल देश एवं राज्य की महिला आयोग से भी है क्या महिला आयोग सिर्फ कुर्सी पर बैठा रहेगा या चुपचाप इस महिला बिरादरी की संपूर्ण समाज का जो संत महात्मा अपमान कर रहे हैं उन पर कार्यवाही भी करेगा। कार्रवाई की मांग भी करेगा आखिर कब तक मूक दशक महिलाएं बनी रहेगी कब यह शक्ति का रूप लेकर अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए मैदान में उतरेंगी।

महिलाएं इनके दरबार में क्यों जाती हैं..?

यह एक गहरी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है। महिलाएं आध्यात्मिकता की तलाश में जाती हैं, लेकिन वहां उन्हें अपमान मिलता है। यह शोषण की एक धार्मिक-आधारित प्रणाली बनती जा रही है।

कथावाचकों द्वारा मंच से महिलाओं को गाली देना – यह कृत्य न केवल नैतिक पतन है, बल्कि भारतीय संविधान और महिला सुरक्षा कानूनों की सीधी अवहेलना है।

अनिरुद्ध आचार्य का महिलाओं पर अश्लील बयान – बार-बार माफ़ी मांगने के बावजूद महिलाओं का अपमान करना यह दिखाता है कि इन कथावाचकों को समाज या कानून का कोई डर नहीं है।

प्रदीप मिश्रा द्वारा अमित शाह को भगवान शिव का अवतार बताना – यह धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग है, जो आस्था को राजनीतिक रंग देने की कोशिश है।

मौलाना साजिद रशीदी द्वारा सांसद डिंपल यादव पर आपत्तिजनक टिप्पणी – यह धर्म और राजनीति दोनों के नाम पर महिलाओं को अपमानित करने का दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है।

आवाज़ बनें उन लाखों महिलाओं की जो अब और चुप नहीं रहेंगी। कथावाचकों का अधर्म:कब तक अपमानित होंगी बेटियाँ..?