प्रधानमंत्री मोदी को मिला 24वां वैश्विक सम्मान-बढ़ा भारत का मान

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प्रधानमंत्री मोदी को मिला 24वां वैश्विक सम्मान-बढ़ा भारत का मान
प्रधानमंत्री मोदी को मिला 24वां वैश्विक सम्मान-बढ़ा भारत का मान
डॉ.वेदप्रकाश

पांच देशों की यात्रा के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले घाना पहुंचे हैं। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वहां यह यात्रा 30 वर्ष बाद है। घाना की सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान- ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घना से विभूषित किया है। सम्मान के बाद घाना की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा- भारत और घाना का रिश्ता सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं है बल्कि यह आपसी विश्वास और साझा मूल्यों की नींव पर टिका है। यह सम्मान भारत की जनता के लिए गर्व का क्षण है। गौरतलब है कि वैश्विक समुदाय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यापक लोकप्रियता के कारण वे ग्लोबल लीडर बन चुके हैं। विगत दिनों साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ माकारियस तृतीय से सम्मानित किया है। यह प्रधानमंत्री मोदी को 23वां वैश्विक सम्मान था। 140 करोड़ भारतीयों की ओर से सम्मान स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने साइप्रस के राष्ट्रपति, सरकार और लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी को मिला 24वां वैश्विक सम्मान-बढ़ा भारत का मान

विदित है कि इससे पूर्व भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सऊदी अरब द्वारा ऑर्डर ऑफ अब्दुल अजीज अल सऊद नामक सर्वोच्च सम्मान, अफगानिस्तान द्वारा द स्टेट आर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्ला खान सम्मान, फिलिस्तीन द्वारा द ग्रैंड कालर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन अवार्ड, संयुक्त अरब अमीरात द्वारा ऑर्डर ऑफ जायद अवार्ड, रूस द्वारा ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू अवार्ड, मालदीव द्वारा द ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ़ निशां, अमेरिका द्वारा उन्हें असाधारण सेवाओं के लिए सैन्य सम्मान लीजन ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया। वर्ष 2023 में फिजी ने प्रधानमंत्री मोदी के वैश्विक नेतृत्व को मान्यता देने हेतु अपने सर्वोच्च सम्मान द कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी से सम्मानित किया तो वहीं इसी वर्ष प्रशांत महासागर के द्वीपीय देशों की एकता की वकालत करने और ग्लोबल साउथ के मुद्दे का नेतृत्व करने के लिए पापुआ न्यू गिनी ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू से सम्मानित किया। समुचित विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि विश्व के और भी कई देश उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। इसके मूल में कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यवहार और विचार है। वे छोटे- बड़े विभिन्न मंचों पर न केवल भारत अपितु समूचे विश्व के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हैं। उनकी चर्चा करते हैं और समुचित योजना बनाते हुए सभी को साथ लेकर चलने का आवाह्न करते हैं।

विगत में संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर साधारण सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि- भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है… भारत की आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज हमेशा मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लांड्रिंग के खिलाफ उठेगी…। इसी प्रकार उन्होंने 15 अगस्त 2020 के लालकिले की प्राचीर से अपने राष्ट्रीय संबोधन में कहा था कि- भारत का लगातार प्रयास है कि अपने पड़ोसी देशों के साथ हम अपने सदियों पुराने सांस्कृतिक,आर्थिक और सामाजिक रिश्तों को और गहराई दें। शांति और सौहार्द में मानवता का, पूरी दुनिया का हित है। यहां ध्यान रखने की बात यह है कि विश्व के सर्वाधिक राजनैतिक नेतृत्व का अनुभव रखने वाले व्यक्तित्व के द्वारा जब इस प्रकार की बातें कहीं जाती हैं तो उनके मूल में सदैव सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना रहती है। वे विभिन्न मंचों पर वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष करते हैं। विगत वर्षों में कई देशों में प्राकृतिक आपदाएं आई। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वहां तत्काल हर संभव सहायता उपलब्ध करवाई गई। वैश्विक महामारी कोरोना के समय भी उन्होंने विश्व के अनेक देशों को आवश्यक संसाधन, खाद्यान्न एवं दवाइयां उपलब्ध करवाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने आवाह्न किया- जान भी, जहान भी।

विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वे अनेक बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वसुधैव कुटुंबकम हमारे लिए कोई नारा नहीं है अपितु यह हमारा जीवन दर्शन है जिसके तहत हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं। विगत दिनों साइप्रस की अपनी यात्रा में भी उन्होंने अपने संबोधन में यह दोहराया है कि- यह युद्ध का समय नहीं है। उन्होंने ईरान-इजरायल और यूक्रेन-रूस युद्ध के संदर्भ में कहा है कि- इनका असर दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी होने का खतरा है। प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया यह वक्तव्य निश्चित रूप से सभी की चिंता का द्योतक है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों पर आतंकवाद, भ्रष्टाचार, ड्रग्स, अवैध हथियार,मनी लॉन्ड्रिंग, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक, प्रदूषण, आपसी सहयोग,शांति,विस्तारवाद आदि अनेक ऐसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दे एवं चुनौतियों पर न केवल वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं अपितु इन समस्याओं के प्रति वैश्विक सहमति बनाने में भी सफल हुए हैं। मिशन लाइफ उनके नेतृत्व में एक ऐसा विचार अथवा अभियान है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से धरती को बचाना है। वर्ष 2022 में अपनी जापान यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए भी उन्होंने कहा था- मेरा जो लालन-पालन हुआ, मुझे जो संस्कार मिले, जिन-जिन लोगों ने मुझे गढ़ा है उसके कारण मेरी भी एक आदत बन गई है- मुझे मक्खन पर लकीर करने में मजा नहीं आता। मैं पत्थर पर लकीर करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वक्तव्य उनके संकल्प को दर्शाता है और कठिन से कठिन कार्य यदि जनहित में है तो उसे मिशन मोड में करने की भावना को भी व्यक्त करता है।

विपक्ष में बैठे कुछ लोग अपनी समझ के अनुसार भिन्न-भिन्न अवसरों पर उनकी आलोचना करते हैं लेकिन यदि वे भी गंभीरता से उनके कार्यों एवं विचारों का विश्लेषण करें तो वह व्यापक है। स्पष्ट है कि विपक्ष द्वारा उनकी आलोचना के मूल में केवल राजनीतिक स्वार्थ और संकुचित दृष्टि रहती है। उनके द्वारा शुरू किया गया मन की बात नामक कार्यक्रम आज न केवल राष्ट्रीय अपितु वैश्विक पटल पर शोध एवं चर्चा का विषय बन चुका है। जहां वे प्रत्येक प्रसारण में जन जागरण, सामान्य व्यक्ति के संघर्षों एवं उपलब्धियां की भिन्न-भिन्न प्रकार से चर्चा करते हैं। वे मन की बात के विभिन्न प्रसारणों में अंतरराष्ट्रीय संबंधों, समस्याओं एवं उनके समाधान की भी चर्चा कर चुके हैं।

विगत कुछ वर्षों में अनेक योजनाओं एवं महत्वपूर्ण संकल्पों से राष्ट्रीय एवं वैश्विक फलक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युग प्रवर्तक व्यक्तित्व के रूप में उभर रहे हैं। विगत दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उनके नेतृत्व में आतंकवाद के खात्मे एवं जवाब में ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर एक बड़ा अभियान सिद्ध हुआ। उन्हीं की योजना से हमारे कई प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में गए और उन देशों को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में हमारी कार्य योजना एवं उनके समर्थन हेतु प्रेरित किया। उस समय भी उन्होंने विश्व समुदाय को यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है और किसी भी प्रकार के आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उसके खात्मे के लिए ऑपरेशन सिंदूर जारी रहेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भी उन्होंने कई बार आवाह्न करते हुए दोनों देशों से शांति और बातचीत की अपील की है।

ईरान और इजरायल युद्ध के बीच भी उनका संदेश स्पष्ट है- यह युद्ध का समय नहीं है। निसंदेह आज राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर अन्य अनेक चुनौतियां सभी देशों के सामने विकराल रूप धारण किए खड़ी हैं। ऐसे में निस्वार्थ भाव से मानवता के कल्याण हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता, उनकी नीति एवं नियत राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर सराही जा रही है। भिन्न-भिन्न देशों द्वारा उन्हें दिए जा रहे सर्वोच्च सम्मान उनके व्यक्तित्व- कृतित्व और मानवता हेतु उनके विचार की स्वीकृति के प्रमाण हैं। प्रधानमंत्री मोदी को मिला 24वां वैश्विक सम्मान-बढ़ा भारत का मान