बांग्लादेश में हिंदुओं से आखिर किस बात का बदला..?

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बांग्लादेश में हिंदुओं से आखिर किस बात का बदला..?
बांग्लादेश में हिंदुओं से आखिर किस बात का बदला..?

बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों से आखिर किस बात का बदला..? जब से पाकिस्तान की नींव पड़ी है, तब से वहां के हिंदू मंदिर कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं।  भारत से किसी भी नाराजगी का प्रतिशोध मंदिरों को ध्वस्त करके लिया जाता है। बांग्लादेश में हिंदुओं से आखिर किस बात का बदला..?

अमरपाल सिंह वर्मा

चार महीने पहले बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ जो गुस्सा था, वह हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद से हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर उतर रहा है। बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ आक्रोश के कारण कई कारण हो सकते हैं, बांग्लादेशी अवाम की हसीना सरकार की नीतियों के खिलाफ नाराजगी भी समझ में आ सकती है पर बड़ा सवाल है कि वहां हिंदुओं और उनके मंदिरों से किस बात का बदला लिया जा रहा है?

बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले कोई नई बात नहीं है। बीते समय में समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं। 2016 में कट्टरपंथी इस्लामी गुटों ने बांग्लादेश में पन्द्रह मंदिर तोड़ डाले थे और सौ से ज्यादा हिंदुओं के घरों को तोड़ डाला गया था। 2022 में भी वहां मंदिरों को निशाना बनाया गया। पिछले कई दिनों से वहां मंदिर तोडऩे का सिलसिला चल रहा है। हाल में ढाका में इस्कॉन मंदिर और वहां विराजित भगवान श्रीकृष्ण और भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमाओं को पेट्रोल डाल जला देने की घटना झकझोर देने वाली है। ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब पाकिस्तान की सीमा हैदर भारत के सचिन के प्यार में पड़ कर भारत आ गई तो इसका बदला पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचा कर लिया गया। सीमा की करतूत का बदला पाकिस्तान में सिंध के काशमोर में हिंदू मंदिरों पर रॉकेट लॉन्चर से हमले कर लिया गया। तब मंदिर और आसपास बसे हिंदू समुदाय के घरों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई। कराची में भी डेढ़ शताब्दी पुराने हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया।

पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले कोई नई बात नहीं है। जब से पाकिस्तान की नींव पड़ी है, तब से वहां के हिंदू मंदिर कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं।  भारत से किसी भी नाराजगी का प्रतिशोध मंदिरों को ध्वस्त करके लिया जाता है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहां अनेक मंदिर ढहा दिए गए। हालत यह है कि दुनिया में कहीं कुछ भी हो, पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के निशाने पर हिंदू मंदिर आ जाते हैं। पिछले कुछ सालों से बांग्लादेश भी पाकिस्तान की राह पर चल निकला है। वहां दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों पर भी हिंदुओं पर हिंसा की घटनाएं सामने आती रही हैं। सवाल उठता है कि ऐसा करके क्या हासिल होने वाला है?

बांग्लादेश में कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं पर चुन-चुनकर हमला किया जा रहा है। हिंदुओं की हत्याएं, सम्पत्ति पर कब्जे, आग लगाने और दुष्कर्म जैसी घटनाएं चिंताजनक हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि इस्कॉन के पुजारियों ने तिलक लगाना, तुलसी माला पहनना और भगवा वस्त्र पहनना छोड़ दिया है। पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों से दुष्कर्म और जबरन धर्म परिवर्तन के कारण पिछले तीन दशक में सैकड़ों हिंदू भारत आए लेकिन लौटकर नहीं गए। अब उसी तर्ज पर बांग्लादेश से हिंदुओं को भगाने की कोशिश की जा रही है।

 पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट के आंकड़ों से पता चलता है कि 1947 में भारत विभाजन के समय पाकिस्तान में 428 प्रमुख मंदिर थे, इनमें से 408 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया है। इन सभी मंदिरों के स्थान पर मदरसे, स्कूल, होटल और रेस्टोरेंट खड़े कर दिए गए हैं। पाकिस्तान में अब बमुश्किल दो दर्जन मंदिर ही शेष रहे हैं। इनमें में भी देखने लायक तो पाकिस्तानी पंजाब स्थित 900 साल पुराना कटासराज मंदिर, इस्लामाबाद के पास सैयदपुर का श्रीराम मंदिर, कराची का पंचमुखी हनुमान मंदिर, पेशावर का गोरखनाथ मंदिर, सिंध का श्रीहिंगलाज माता मंदिर और वरुणदेव मंदिर ही बचे हैं। नफरत की नींव पर बने पाकिस्तान से किसी सकारात्मक काम की उम्मीद ही बेकार है मगर भारत की मदद से अस्तित्व में आए बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह भी पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार जितना ही निंदनीय और चिंताजनक है। मंदिरों को ढहाना सिर्फ पत्थरों के ढांचे को खत्म करना नहीं है, ऐसा करके हिंदुओं की समृद्ध और वैभवशाली संस्कृत को नष्ट करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

  भारत को इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर पुरजोर तरीके से उठाना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बांग्लादेश में हसीना के अपदस्थ होने के बाद बनी नई सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। यूनुस लगातार कहते आ रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हिंदुओं से जुड़ी घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। बांग्लादेश के हिंदू अपने स्तर पर कट्टरपंथियों से जूझ रहे हैं। भारत सरकार को कूटनीति के दायरे में उनकी हर संभव मदद करनी चाहिए। बांग्लादेश में हिंदुओं से आखिर किस बात का बदला..?