आजकल आए दिन सुनने एवं होने वाली तमाम बीमारियों में से एक बहुत ही आम बीमारी जो करीब करीब सभी घरों में पाए जाने लगी है,वह है यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ स्तर प्रायः सभी घरों में यह बीमारी पाई जाती है हाइपरयुरिसीमिया (उच्च यूरिक एसिड स्तर) हाइपरयुरिसीमिया एक बहुत आम बीमारी है,अत्यंत दर्दनाक है रक्त में यूरिक एसिड का बड़ा हुआ स्तर। इसका निदान आमतौर पर गठिया या गुर्दे की पथरी के लक्षणों के बाद किया जाता है।
हाइपरयुरिसीमिया यानि यूरिक एसिड के स्तर को कम करने या इसको रोकने के लिए कम प्यूरीन युक्त आहार का पालन करना सबसे अच्छा तरीका है। यूरिक एसिड एक अपशिष्ट उत्पाद है जो तब बनता है जब शरीर भोजन और पेय में प्यूरीन नामक रसायनों को तोड़ता है। अधिकांश यूरिक एसिड हमारे रक्त में घुलकर किडनी से होकर गुजरता है और पेशाब (मूत्र) के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। यदि शरीर में बहुत अधिक यूरिक एसिड रहता है तो हाइपरयुरिसीमिया होता है। हाइपरयुरिसीमिया के कारण यूरिक एसिड तेज क्रिस्टल में एक साथ चिपक जाता है। ये क्रिस्टल जोड़ों में जमा हो सकते हैं और गठिया का एक दर्दनाक रूप, गाउट का कारण बन सकते हैं । वे गुर्दे में भी जमा हो सकते हैं और गुर्दे की पथरी का निर्माण कर सकते हैं ।
हाइपरयुरिसीमिया को उपचार के द्वारा ठीक किया जा सकता है बस अपनी दैनिक दिनचर्या के कुछ पहलुओं को बदलने की आवश्यकता हो सकती है ,जैसे कि अपने आहार में बदलाव करना और अधिक पानी पीना।
हाइपरयुरिसीमिया शरीर को कैसे प्रभावित करता है :- हो सकता है कि शुरू शुरू में हमको पता ही न चले कि हाइपरयुरिसीमिया है, खासकर यदि स्तर केवल थोड़ा बढ़ा हुआ ही है। लेकिन समय के साथ, रक्त में यूरिक एसिड का निर्माण दर्द और अन्य लक्षण पैदा कर सकता है। यह पूरे शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है। यदि इसका उपचार ठीक तरीके से नहीं किया गया तो उच्च यूरिक एसिड स्तर अंततः हमारे शरीर के लिए स्थायी क्षति का कारण बन सकता है।
उच्च यूरिक एसिड स्तर और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के बीच एक संबंध भी दिखाया है, जिनमें शामिल हैं -गुर्दा रोग,दिल की बीमारी ,उच्च रक्तचाप,मधुमेह, वसायुक्त यकृत रोग .चयापचयी लक्षण इत्यादि इत्यादि ।
लक्षण और कारण :-
हाइपरयुरिसीमिया स्वयं आमतौर पर लक्षण पैदा नहीं करता है,अधिकांश लोगों को तब तक पता नहीं चलता कि उन्हें यह है, जब तक कि उनके यूरिक एसिड का स्तर गाउट या गुर्दे की पथरी का कारण बनने के लिए पर्याप्त नहीं हो जाता।इसके साथ ही साथ किसी भी जोड़ में गाउट के हमले के लक्षणों में शामिल हैं :- तेज़ दर्द, लाली , कठोरता,सूजन,
कोमलता, हल्के स्पर्श से भी भयानक दर्द ,गर्मी, या जोड़ में “आग लगी” जैसी अनुभूति आदि। गुर्दे की पथरी के लक्षणों में शामिल हैं :- पीठ के निचले हिस्से या बाजू में दर्द, दर्द के कारण मतली या उल्टी होना,बुखार या ठंड लगना , पेशाब में खून आना , पेशाब करते समय दर्द होना,पेशाब करने में असमर्थ होना,
अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना, पेशाब जिसमें दुर्गंध आती हो या बादल जैसा दिखता हो इत्यादि इत्यादि इत्यादि ।
हाइपरयुरिसीमिया का क्या कारण है? :- रक्त में अतिरिक्त यूरिक एसिड हाइपरयुरिसीमिया का कारण बनता है।हमारा शरीर प्यूरीन को तोड़ने के बाद यूरिक एसिड बनाता है। प्यूरिन प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और कम मात्रा में हानिकारक नहीं होते हैं। लेकिन नियमित रूप से उच्च-प्यूरीन खाद्य पदार्थ खाने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता हैं। उच्च प्यूरीन वाले खाद्य और पेय पदार्थों में शामिल हैं : लाल मांस , जिगर, कलेजी जैसे अंग के मांस , समुद्री भोजन (विशेषकर सैल्मन, झींगा, झींगा मछली और सार्डिन) उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप वाला भोजन और पेय , शराब (विशेषकर बीयर, जिसमें गैरअल्कोहल बीयर भी शामिल है) कुछ दवाएँ दुष्प्रभाव के रूप में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकती हैं, जिनमें शामिल हैं: मूत्रवर्धक (कभी-कभी पानी की गोलियाँ भी कहा जाता है) हाइपरयुरिसीमिया होने का ये मतलब नहीं है कि गठिया हो ही जाएगा। परंतु यह बहुत दर्दनाक होता है और गुर्दे पर भी इसका असर पड़ता है।
हाइपरयुरिसीमिया में क्या खाना या पीना चाहिए..? :- अपने यूरिक एसिड को कम करने में मदद करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जितना हो सके उच्च प्यूरीन वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचे। जैसे लाल मांस और अंग मांस.शराब, उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप (जैसे सोडा) से मीठा किया गया पेय,मछली (विशेषकर शंख जैसे झींगा मछली और झींगा), बहुत ज्यादा वसायुक्त भोजन,दाल, राजमा, पनीर, सोयाबीन, जंक फूड,पैक्ड फूड इत्यादि।कम प्यूरीन वाले आहार का पालन करने से यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। एक स्वस्थ आहार और नियमित रूप से व्यायाम हाइपरयूरीसीमिया को कम करने में काफी सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
रोकथाम :- हाइपरयुरिसीमिया को रोकने का सबसे अच्छा तरीका एक आहार और व्यायाम योजना का पालन करना है जो हमारे लिए स्वस्थ और उपयुक्त हो।इसके लिए अपने चिकित्सक से राय लेनी चाहिए कि क्या खाना पीना चाहिए जिससे बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या से छुटकारा पाया जा सके।स्वस्थ आहार और व्यायाम योजना का पालन करने से स्वस्थ वजन बनाए रखने और यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है।
होम्योपैथी :- होम्योपैथी एक ऐसी विधा है जिसमें बड़े हुए यूरिक एसिड के स्तर को कम करके मरीज को पूरी तरीके से आराम देने की क्षमता है। चिकित्सा के साथ ही साथ नियमित रूप से योग व्यायाम कसरत, दिन भर में कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पीना, सुबह और रात को हल्का गुनगुना गर्म पानी पीना, नियमित रूप से किया जाने वाला मांसाहारी भोजन को कम करके कभी कभार ही लेना, शाकाहारी भोजन पर ज्यादा ध्यान देना,बहुत ज्यादा राजमा पनीर इत्यादि से भी परहेज करना, कटोरी भर भर के दाल पीने से भी परहेज करना तथा जंक फूड एवं फास्ट फूड से बचना भी अति आवश्यक बिंदु है। अत्यंत दर्दनाक है रक्त में यूरिक एसिड का बढ़ा स्तर