कांग्रेस वाले मुंगेरी लाल के हसीन सपनों से हिमाचल आर्थिक करोना की चपेट में..! हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों-पैंशनर्स को दो हजार करोड़ रुपए की मासिक का भुगतान किया जाता है। कांग्रेस वाले मुंगेरी लाल के हसीन सपने..!
अर्जुन शर्मा
देवभूमि हिमाचल प्रदेश आजकल आर्थिक करोना की चपेट में है। सरकारी कर्मचारियों व पैंशन धारकों के खातों में हर महीने की पहली तारीख को बहार का मौसम होता चला आता रहा है (था) यह था इसलिए कि इस बार 4 तारीख आ गई। जिन कर्मचारियों के खातों में वेतन के आधार पर कोई न कोई किश्त लगी हुई है उनके चैक बाऊंस कर गए हैं। कारण। इस बार 1 सितंबर को बहार का मौसम नहीं आया। अब इस सिलसिले में हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खु जी के तीन दिन के बयानों पर भी दृष्टिपात कर लें। पहले दिन वे कहते हैं, “ प्रदेश का खजाना खाली है…हम इसकी स्थिति बेहतर करने के उपाय कर रहे हैं नतीजे आने में समय लगता है। ” अब दूसरे दिन का बयान सुन ले, “ दो महीने तक सरकार के मंत्री व अन्य साथियों को कोई भत्ता नहीं मिलेगा, उनके स्टाफ का टीएडीए भी इसी श्रेणी में आएगा। ” अब तीसरे दिन का प्रवचन भी सुन ही लीजिए, “ आर्थिक तंगी नहीं है, सब सही है, भाजपा वाले बिना वजह अफवाहें फैला रहे हैं। ” मान गए उस्ताद। कांग्रेस वाले मुंगेरी लाल के हसीन सपने
ये सब हुआ क्यों? यह जानना भी जरूरी है। कांग्रेस के मान्यवर नेता श्री राहुल गांधी जी का देश प्रदेश में गरीबी दूर करने का फार्मूला पाठकों को सुनना चाहिए, “ गरीबी रेखा से नीचे वाले देशवासियों को हर साल एक लाख यानी हर महीने 8500 रुपए आपके बैंक खातों में खटाखट.खटाफट, खटाखट। इस तरह हम एक ही झटके में पूरे देश की गरीबी को जड़ से उखाड़ फैंकेगें। ” (राहुल बाबा आपकी दादी मां ने पचपन साल पहले गरीबी हटाओ का नारा दिया था. कहीं आपके हाथ पचपन साल पुरानी चुनावी स्क्रिप्ट तो नहीं लगी) असल में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने और पूरे आत्मिवश्वास से झूठ बोलने की राहुल की विशेषज्ञता का बॉय प्राडक्ट फिलहाल हिमाचल में नंगा होना शुरु हो गया है।
दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने शिमला पार्टी के घोषणा पत्र को प्रतिज्ञापत्र कहा था। उसमें दर्ज दस वायदों को पूरा करने के आर्थिक बंदोबस्त से जुड़े सवाल के जवाब में श्री खेड़ा का कहना था, “ हम हवा हवाई बातें नहीं करते, न ही हमारी पार्टी डेढ़ व्यक्ति (ये तंज मोदी-शाह के लिए था) पर आधारित है। कांग्रेस में आर्थिक विशेषज्ञों को पूरा सम्मान दिया जाता है। हम सभी लोग बैठ कर पहले चिंतन करते हैं फिर आर्थिक जानकारों से उसकी पुष्टि करवा कर ही जनता में लाते हैं। हम सभी वायदे पूरे करके दिखाएंगे। ” अब कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने व मुख्यमंत्री का कथन तो बताता ही है कि हिमाचल की आर्थिक सेहतयाबी संदेह के घेरे में है। इसके साथ ही उन दस घोषणाओं में बांटी मुफ्त की रेवड़ियों का हश्र भी सुन लें।
वायदा था- हर घर को 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी, हश्र- तीन सौ युनिट मुफ्त तो क्या देनी थी, भाजपा शासन में जो 125 यूनिट बिजली मुफ्त मिल रही थी वो सुविधा भी वापिस ले ली गई।
कांग्रेस के प्रतिज्ञापत्र में पांच साल के शासन में पांच लाख नौकरियां देने का वायदा हिमाचलियों को दिया था पर आज यदि इस संदर्भ में हिमाचल के मुख्यमंत्री समेत बड़े कांग्रेसी नेताओं से पूछा जाए तो जवाब होता है, “ नौकरियां नहीं रोजगार के साधन उपलब्ध करवाने को कहा गया था। ” वैसे तथ्य ये भी है कि हिमाचल की गणना भारत में बेरोजगारी को लेकर पहले नंबर पर है।
हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों-पैंशनर्स को दो हजार करोड़ रुपए की मासिक का भुगतान किया जाता है। खाली खजाने की स्थिति में दिसंबर 2024 में जो ओवरड्राफ्ट मिलने की राशि है वो 6200 करोड़ रुपए यानी चार माह का वेतन 8000 करोड़ बनता है जबकि ओवरड्राफ्ट से तीन माह के वेतन का भुगतान हो सकता है. सोचिए क्या वेतन देना ही सरकार का कामकाज है, विकास कार्य कहां से होंगे जबकि पूरा वेतन देने में भी 1800 करोड़ की कमीहै।
भाजपा सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में 19,600 कोड़ रुपए कर्ज लिए जबकि कांग्रेसी शासन के 20 महीनों में 24,176 करोड़ रुपए का ऋण लिया। लगता है पवन खेड़ा की डियूटी लगाई जानी चाहिए कि कांग्रेस के सम्मानित अर्थशास्त्रियों की तलाश में किसी जेम्स बांड को काम पर लगा दें।
एक और दुखद तथ्य है कि इस समय हिमाचल पर कर्ज की राशि 95,000 करोड़ रुपए है व हर हिमाचली भारत के समस्त प्रदेशों की तुलना में 1लाख 17000 रुपए की कर्जदारी लिए, दूसरे सबसे कर्जदार प्रदेश के नागरिक हैं जबकि चुनाव प्रचार में राहुल गांधी ने कहा था, “ 2027 में हिमाचल कांग्रेसी नीतियों के सदके आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़ा होगा व 2032 तक भारत का सबसे बड़ा आत्मनिर्भर प्रदेश होगा। ” कांग्रेस वाले मुंगेरी लाल के हसीन सपने