खटाखट मॉडल से बर्बादी सामने आई..!

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खटाखट मॉडल से बर्बादी सामने आई..!
खटाखट मॉडल से बर्बादी सामने आई..!

राजेश कुमार पासी

हिमाचल प्रदेश अपनी आर्थिक बदहाली के लिए फिर सुर्खियों में आ गया है । कुछ महीने पहले भी जब इस प्रदेश के पास अपने कर्मचारियों के वेतन देने के लिए पैसे नहीं बचे थे तो देश को इसकी आर्थिक हालत का पता चला । हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना तथा अपने मंत्रियों का वेतन दो महीने के लिए रोक दिया है क्योंकि सरकार के पास पैसे की कमी हो गई है । मुख्यमंत्री ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों से भी अनुरोध किया है कि वो भी ऐसा करें । विपक्षी नेता जयराम ठाकुर ने कहा है कि मंत्रियों ने सिर्फ अपना वेतन रोका है, छोड़ा नहीं है । उन्होंने कैबिनेट रैंक की संख्या भी कम करने की सलाह दी है । खटाखट मॉडल से बर्बादी सामने आई..!

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बने सिर्फ पौने दो साल हुए हैं और इस दौरान इस सरकार ने 19000 करोड़ का कर्ज और ले लिया है । प्रदेश पर अब लगभग 88000 करोड़ का कर्ज हो चढ़ चुका है जो हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य के लिए बहुत अधिक है । मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हम सरकार की आय बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और गैर उत्पादक कार्यों पर खर्च कम करने की कोशिश कर रहे हैं । कांग्रेस ने सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली फ्री देने का वादा किया था लेकिन सरकार 125 यूनिट ही फ्री दे रही है । कांग्रेस ने 18 से 60 साल तक की सभी महिलाओं को 1500 रुपये हर महीने देने का वादा किया था लेकिन सरकार सिर्फ कुछ जिलों में मात्र  2.90 लाख महिलाओं को ही यह राशि दे रही है । मुख्यमंत्री प्रदेश की खस्ता आर्थिक हालत के लिए पिछली सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं लेकिन वो अपनी मुफ्त वाली योजनाओं पर बोलने को तैयार नहीं है । सवाल यह है कि क्या कांग्रेस को पहले प्रदेश की आर्थिक हालत का पता नहीं था । 

       राहुल गांधी सत्ता में आने वाले नहीं हैं बल्कि वो सत्ता में आए बिना ही सत्ता का इस्तेमाल चाहते हैं  जैसे उन्होंने यूपीए के शासन के दौरान किया था। उन्होंने राज्यों में सत्ता पाने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान जो गारंटियां  दी थी उसके कारण राज्यों की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है । हिमाचल प्रदेश अकेला नहीं है, जो राहुल गांधी की गारंटियों की सजा भुगत रहा है । इससे पहले कर्नाटक में भी यही देखने में आया है । कर्नाटक के वित्त मंत्री डीके शिवकुमार ने घोषणा कर दी थी कि उनका कोई भी मंत्री या विधायक विकास कार्यों के लिए पैसे मांगने न आये क्योंकि सारा पैसा राहुल गांधी की गारंटी पूरी करने में खत्म हो गया है ।  मतलब साफ है कि फ्री की योजनाओं के कारण कर्नाटक जैसा अमीर राज्य भी विकास कार्यों के लिए पैसे का जुगाड़ नहीं कर पा रहा है । कर्नाटक सरकार की नाकामी के कारण कर्नाटक के 1200 किसानों द्वारा आत्महत्या कर ली गई है लेकिन मीडिया और विपक्ष इस पर बात करने को तैयार नहीं हैं । खटाखट मॉडल से बर्बादी सामने आई..!

किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने न तो गोली चलाई और न ही लाठी चलाई लेकिन 700 किसानों की मौत हो गई । वास्तव में विभिन्न बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण यह किसान मारे गए थे लेकिन पूरा विपक्ष इस पर हल्ला मचाता रहता है लेकिन कांग्रेस सरकार की नाकामी के कारण 1200 किसानों ने आत्महत्या कर ली, इसकी कोई चिंता नहीं है । कर्नाटक में चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करके कांग्रेस ने सरकार तो बना ली लेकिन सरकार चलाना मुश्किल हो रहा है । यही हालत हिमाचल प्रदेश में हो रही है । पंजाब में आम आदमी पार्टी भी ऐसी मुफ्त वाली योजनाओं की घोषणा करके सत्ता में आई थी और पंजाब भी बर्बादी की ओर जा रहा है। अब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, महाराष्ट्र और हरियाणा में भी सरकारें फ्री वाली योजनाओं की घोषणा कर रही हैं । भाजपा भी मजबूरी में कांग्रेस के रास्ते पर चलने को तैयार दिखाई दे रही है । जनता को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के लिए यह बहुत आसान हो गया है कि कोई कार्यक्रम और नीतियों की घोषणा करने की जगह फ्री वाली योजनाओं की घोषणा कर दो । अभी जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा हुई है, वहां भी पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने फ्री की बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर दी है । जनता को भी शायद यही पसंद आने लगा है । 

         हिमाचल में चुनाव के दौरान कांग्रेस ने फ्री बिजली और महिलाओं को हर माह 1500 रूपये देने का अलावा भी कई घोषणाएं की थी । ओल्ड पेंशन योजना लागू करने का वादा किया गया, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की बात कही गई थी । पांच हजार किलोमीटर सड़क बनाने का वादा किया गया था और कहा गया था कि इसके लिए ग्रामीण इलाकों में भूमि अधिग्रहण करने पर किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाएगा । कृषि और बागवानी आयोग बनाया जाएगा और उत्पादों की कीमत किसानों से सलाह करके तय की जाएगी । सेब की खरीद एमएसपी पर की जाएगी । पशुपालकों से दस किलो दूध रोज खरीदा जाएगा और दो रुपये किलो गोबर खरीद कर उससे वर्मी पोस्ट खाद बनाई जाएगी । पशु चारे और चार गाय की खरीद पर सब्सिडी दी जाएगी । कांग्रेस को बताना चाहिए कि  इन घोषणाओं को पूरा किए बिना ही सरकार की ऐसी हालत कैसे हो गई। राहुल गांधी हर राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान अपनी तरफ से बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर आते हैं लेकिन दोबारा मुड़कर नहीं देखते कि उनकी सरकारें उनकी दी हुई गारंटी पूरी कर पा रही हैं या नहीं । मध्यप्रदेश के चुनाव में उन्होंने उंगलियों की गिनती करके कहा था कि सरकार बनने के दस दिन के अंदर किसानों का पूरा कर्ज माफ कर दिया जाएगा । मध्यप्रदेश में जब सरकार बनी तो महीनों तक किसान कर्जमाफी का इंतजार करते रहे लेकिन कुछ ही किसानों के कर्ज की कुछ राशि माफ की जा सकी । यही कारण है कि अगले चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।

केजरीवाल फ्री बिजली और फ्री पानी की घोषणाओं के सहारे राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें भी दिल्ली के बाद सिर्फ पंजाब में सफलता मिली है, ये एक अच्छा संकेत है। दिल्ली में भी फ्री की योजनाओं के कारण विकास कार्य ठप्प हो गए हैं। केरल सरकार की भी यही हालत है, वो बार-बार केंद्र सरकार की अपनी कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने की मांग करती रहती है। कांग्रेस की फ्री की योजनाओं के कारण तेलंगाना की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है, इसमें बड़ा योगदान पिछली बीआरएस की सरकार का भी है । वो सरकार भी फ्री की योजनाओं पर चल रही है।

       राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में खटाखट योजना लाए थे, जिसमें देश की हर महिला को हर महीने 8500 रुपए उसके खाते में डालने का वादा किया गया था। किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की बात कही गई थी और पूरे देश के किसानों का पूरा कर्ज माफ करने की बाद कही गई थी। युवाओं के लिए तीस लाख नौकरियां देने का भी वादा कांग्रेस ने किया था । कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कई और लोक लुभावन घोषणाएं की थी । अगर मान लिया जाए कि कांग्रेस की सरकार बन जाती तो देश को दो-तीन सालों में ही कांग्रेस दिवालिया घोषित करवा सकती थी । सिर्फ खटाखट योजना में ही सरकार को हर साल बीस लाख करोड़ रुपए की जरूरत पड़ती, वो भी तब जब सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को पैसा दिया जाता ।  मतलब आधा बजट तो कांग्रेस की सरकार खटाखट पर ही लुटा देती । अगर सरकार किसानों की सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदती तो बाकी बजट उसमें चला जाता लेकिन कर्जमाफी फिर भी नहीं हो पाती । अब सवाल है कि सरकार चलाने के लिए बाकी चालीस लाख करोड़ कहां से लाती । मतलब साफ है कि सरकार अपने वादों से मुकर जाती या फिर देश को कर्ज लेकर चलाती । राहुल गांधी अपनी फ्री की योजनाओं से राज्यों की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहे हैं, देश को बर्बाद करने से उन्हें कौन रोक सकता था । इन चुनावों में तो कांग्रेस ने खटाखट पैसे देने के लिए गारंटी कार्ड बांटे थे, जिनको लेकर महिलाएं चुनाव के बाद कांग्रेस दफ्तरों के आगे जाकर खड़ी हो गई थी । उन्हें पूरा भरोसा था कि खटाखट पैसे मिलने वाले  हैं । पंजाब में आम आदमी की पार्टी की सरकार को बने दो साल से ज्यादा हो गए हैं लेकिन महिलाओं को हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा पूरा नहीं किया गया है । ऐसे ही हिमाचल की महिलाएं इंतजार कर रही हैं कि उन्हें हर माह 1500 रूपए मिलने शुरू हो जाए । कर्नाटक में भी कांग्रेस ने ऐसा वादा किया हुआ है लेकिन अभी तक निभाया नहीं जा सका है । भाजपा सरकारें भी ऐसा वादा कर रही हैं और कुछ जगहों पर उन्हें अमल में भी लाया जा रहा है ।

 फ्री की योजनाएं देश को बर्बाद कर सकती हैं । फ्री की योजनाओं को लागू करने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन अर्थव्यवस्था को देखकर यह योजनाएं दी जानी चाहिए । केन्द्र सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिन्हें हम इस श्रेणी में रख सकते हैं लेकिन इन्हें अर्थव्यवस्था को  संतुलित करते हुए दिया जा रहा है । अर्थव्यवस्था को बर्बाद करके ऐसी योजनाओं को लागू करना देशहित में नहीं है । राहुल गांधी की खटाखट योजना के लिए पैसा कहां से आता, यह अभी तक कांग्रेस बता नहीं सकी है ।   खटाखट मॉडल से बर्बादी सामने आई..!