
भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में भूपेन्द्र यादव का दबदबा कायम। लगातार दूसरी बार बने महामंत्री।पूर्व सीएम वसुंधरा राजे फिलहाल राजस्थान की राजनीति से दूर ही रहेंगी। फिर दिया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद।
भूपेंद्र यादव अपने काम और संगठन की समझ के चलते हैं अभी भाजपा के राष्ट्रीय टीम मैं अपना महत्त्व बनाए हुए हैं। भाजपा संगठन में भूपेंद्र यादव की अहमियत इसी बात से लगाई जा सकती है कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है उनमें वह खरे उत्तर दे रहे हैं। भूपेंद्र यादव अमित शाह के करीबी रणनीतिकारों में अहम स्थान रखते हैं, भूपेंद्र यादव की कार्य क्षमता को देखते हुए हो सकता है उन्हें अगले चुनाव तक भाजपा की कमान उन्हीं के हाथों में सौंप दी जाए।
अजमेर के गर्वमेंट कॉलेज में पढ़े और राजस्थान से राज्यसभा के सांसद भूपेन्द्र यादव का भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में दबदबा बरकरार है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए अमित शाह ने भी यादव को महासचिव बनाया था और जेपी नड्डा ने भी यादव का महासचिव का पद बरकरार रखा है। लगातार दूसरी बार सत्तारूढ़ पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनना राजनीति में बहुत मायने रखता है। असल में यादव ने अपनी गंभीर कार्यशैली से राष्ट्रीय राजनीति में अलग पहचान बना ली है। यादव कभी भी किसी भी विवाद में नहीं पड़ते हैं और न ही अपने आसपास मौका परस्त लोगों की भीड़ जमा होने देते हैं। जिन लोगों का सम्मान करते हैं उनके फोन आज भी यादव स्वयं रिसीव करते हैं। राजनीति में यादव की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि उन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पूरा भरोसा है।
भूपेंद्र यादव गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश तक चुनाव प्रभारी रहे हैं। मौजूदा समय में बिहार के प्रभारी है। देखा जाए तो यादव के लिए अब कोई पद मायने नहीं रखता है। मोदी के पहले कार्यकाल में यादव का केन्द्रीय मंत्री बनना तय था, लेकिन जब यादव को मंत्री नहीं बनाया तो उन्होंने कोई नाराजगी नहीं जताई। यही वजह रही कि जब अमितशाह के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा हुई तो सबसे ऊपर नाम भूपेन्द्र यादव का था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यादव का पार्टी में कितना बड़ा कद है। भले ही बाद में जेपी नड्डा को अध्यक्ष बन गए,लेकिन यादव का दबदबा कायम रहा।
नड्डा ने जो कार्यकारिणी घोषित की है उसमें यादव की भी भूमिका रही है। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रवक्ता बनाए जाने से यादव की भूमिका को समझा जा सकता है। राठौड़ मोदी प्रथम में केन्द्रीय मंत्री थे, लेकिन दूसरे कार्यकाल में राठौड़ को मंत्री नहीं बनाया गया। मंत्री नहीं बनाने की भरपाई पार्टी का प्रवक्ता बना कर दी गई है। राठौड़ भी राजस्थान से ही लोकसभा के सांसद हैं। अमित शाह की कार्यकारिणी में राजस्थान के ही सांसद ओम माथुर उपाध्यक्ष थे। लेकिन नड्डा की कार्यकारिणी में माथुर को स्थान नहीं मिला। माना जा रहा है कि माथुर को मोदी सरकार में मंत्री बनने का मौका मिलेगा।
भूपेंद्र यादव अमित शाह के ‘मिस्टर भरोसेमंद’ माने जाते हैं, हाल में राज्यसभा में कई अहम बिलों को पास कराने के लिए विरोधी दलों के सांसदों का भी समर्थन हासिल करने के लिए अमित शाह ने जो टीम बनाई थी, उसमें भूपेंद्र यादव की भी अहम भूमिका थी। महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में यूपी और कर्नाटक के लोग रहते हैं, केशव यूपी के चुनावों में भूपेंद्र के साथ काम कर चुके हैं।
























