धनंजय सिंह
लखनऊ । उप्र. कोऑपरेटिव बैंक के हजरतगंज शाखा से 146 करोड़ रुपये की हेराफेरी में साइबर क्राइम थाने की टीम ने तीसरे मास्टर माइंड को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने पूछताछ में पूरी वारदात में बनाई गई योजना का खुलासा किया। इस हेराफेरी के मामले में कई बैंक अधिकारी व अन्य बाहरी लोगों के नाम भी बताये हैं।साइबर क्राइम थाने के निरीक्षक अजीत यादव के मुताबिक पकड़ा गया आरोपी ज्ञानदेव पाल मूलरुप से शाहजहांपुर के नई बस्ती तरीन गादीपुरा का रहने वाला है। उसने लोकभवन में तैनात सेक्शन अफसर रामराज और शातिर ध्रुव कुमार श्रीवास्तव के साथ मिलकर कोआपरेटिव बैंक का 300 करोड़ रुपये उड़ाने की साजिश रची थी। इस काम में सीतापुर महमूदाबाद में कोआपरेटिव बैंक में सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह, आकाश कुमार श्रीवास्तव, भूपेंद्र, सतीश और बैंक के पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे को शामिल किया। इस हेराफेरी में बैंक के कई अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। इस बात का कुबूलनामा ज्ञानदेव पाल ने साइबर क्राइम थाने की पुलिस के सामने पूछताछ में किया।
आरोपी ने कुबूल किया कि योजना के तहत पूर्व प्रबंधक के साथ तीन साथी लगातार बैंक में घंटो बैठकर रेकी करते थे। इस दौरान बैंक में अपने लैपटॉप लगाकर काम भी करते थे। इसी दौरान दुबे और गिरोह से जुड़े साइबर एक्सपर्ट ने बैंक के दो कर्मचारियों की यूजर आईडी व पासवर्ड हासिल कर ली। इसके जरिए 146 करोड़ रुपये एक बिल्डर व ठेकेदार के आठ खातों में ट्रांसफर कर दिया। इस मामले में 16 अक्तूबर को साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। वारदात केदो दिन बाद ही पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे, सोलर कंपनी के मालिक व बिल्डर के भाई सुखसागर सिंह चौहान को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद साइबर हैकर सतीश को दबोचा गया। फिर एक नवंबर को लोक भवन के सेक्शन अफसर रामराज, मास्टर माइंड ध्रुव कुमार श्रीवास्तव, आकाश कुमार श्रीवास्तव, कोआपरेटिव बैंक के महमूदाबाद के सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह, भूपेंद्र को गिरफ्तार किया गया था। ज्ञानदेव फरार चल रहा था। उस पर पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर अजीत यादव व बृजेश कुमार यादव की टीम ने शुक्रवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
तीन लोगों ने एक करोड़ खर्च कर रची थी साजिश
साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर अजीत यादव के मुताबिक 146 करोड़ के हेराफेरी का मास्टर माइंड तीन लोग हैं। इसमें लोकभवन का सेक्शन अफसर रामराज, ध्रुव कुमार श्रीवास्तव और ज्ञानदेव पाल शामिल हैं। इन्हीं तीनों ने अपने पास से एक करोड़ रुपये खर्च किये। वहीं 18 महीने में 300 करोड़ रुपये बैंक के खाते से उड़ाने की साजिश रची। लेकिन 14 अक्टूबर की शाम 6 बजे आरोपियों ने कोआपरेटिव बैंक के एनएडी अनुभाग (कृषियेत्तर ऋण अनुभाग) के खाते से 146 करोड़ रुपये एक बार में सीबीएस आईडी से अनधिकृत रुप से आईसीआईसीआई व एचडीएफसी बैंक के आठ खातों में आरटीजीएस किया गया था। पुलिस के मुताबिक शातिर हैकर ध्रुव कुमार श्रीवास्तव ने इस हेराफेरी के लिए 50 लाख रुपये का इंतजाम किया था। वहीं रामराज व ज्ञानदेव पाल ने 50 लाख रुपये का इंतजाम किया था।
सगी बहन से ठगे 50 लाख रुपये किया था निवेश
इस मामले में दो मास्टर माइंड को एसटीएफ ने एक नवंबर को गिरफ्तार किया था। इसमें लोकभवन का सेक्शन अफसर रामराज व ध्रुव श्रीवास्तव शामिल है। एसटीएफ अधिकारी के मुताबिक ध्रुव श्रीवास्तव काफी शातिर है। वह इस तरह की कई हेराफेरी कर चुका है। उसने इस बड़ी घपलेबाजी के लिए अपनी सगी बहन को ही ठग लिया। उसकी बहन ने अपना मकान बेचा था। जिसकी रकम उसके खाते में जमा थी। पूछताछ में सामने आया कि ध्रुव ने अपनी बहन का डेविट कार्ड व ऑन लाइन ट्रांजिक्शन का पासवर्ड हासिल कर लिया। उसके खाते से 50 लाख रुपये निकाल कर 146 करोड़ रुपये की हेराफेरी के लिए खरीदे गये सामानों व शातिरों की टीम खड़ी करने में खर्च की। वहीं महीनों लखनऊ के होटलों में ठहरने व रेकी पर लगाया।
ज्ञानदेव ने ही लगाया था की-लॉगर
साइबर क्राइम थाने की पुलिस के मुताबिक ज्ञानदेव पाल ही पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे के साथ मिलकर कोआपरेटिव बैंक के अंदर गया। वह काफी शातिर हैकर है। उसने ही बैंक के अंदर हैकिंग डिवाइस, डोंगल व की-लॉगर लगाया था। बैंक के गोपनीय डेटा व विवरण हैक कर अपने साथियो को रिमोट एक्सिस कंट्रोल दिया। जहाँ से उनके द्वारा खाते को संचालित कर चिह्नित खाताधारकों के खातो में अवैध रकम ट्रांसफर किया। पूछताछ में ज्ञानदेव ने बताया कि सभी के शेयर व काम के हिसाब से हिस्सेदारी तय थी। जिन खातों का प्रयोग रकम हड़पने के लिए किया गया था। उन खाताधारकों की भी रकम तय की गई थी।