आनासागर में अवैध निर्माण हटाने पर रोक

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आनासागर में अवैध निर्माण हटाने पर रोक

अजमेर के आनासागर के नो कंस्ट्रक्शन जोन में अवैध निर्माण हटाने पर रोक।तो फिर हाईकोर्ट ने आईएएस समित शर्मा को झीलों को बचाने की जिम्मेदारी क्यों दी..?हाईकोर्ट सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ क्यों नहीं करता…?

एस.पी. मित्तल

अजमेर। अजमेर के ऐतिहासिक आनासागर के नो कंस्ट्रक्शन जोन में हुए अवैध निर्माणों को हटाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह रोक नो कंस्ट्रक्शन जोन के दायरे में आए निर्माणकर्ताओं की याचिका पर लगाई गई है। इससे अजमेर नगर निगम की वह कार्यवाही धरी रह गई है, जिसमें नो कंस्ट्रक्शन जोन में हुए निर्माणों को चिह्नित किया गया था। यह चिन्हीकरण भी हाईकोर्ट द्वारा गठित झील संरक्षण समिति की पहल पर हुआ था।

हाईकोर्ट ने प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस डॉ. समित शर्मा को समिति का समन्वयक नियुक्त किया था। डॉ. शर्मा अपनी टीम के साथ अजमेर आए और प्रशासन को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। इसके तहत ही निगम ने अवैध निर्माणकर्ताओं की सूची भी बना ली। निगम अवैध निर्माण हटाने की कार्यवाही करता, इससे पहले ही हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। हालांकि हाईकोर्ट के निर्णयों का सभी सम्मान करते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि एक ओर आनासागर को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए हाईकोर्ट डॉ. समित शर्मा को नियुक्त करता है तो दूसरी अवैध निर्माणकर्ताओं की याचिका पर ही अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि आनासागर से जुड़े मामलों पर हाईकोर्ट में अलग अलग न्यायाधीश सुनवाई करते हैं। अच्छा हो कि जो न्यायाधीश आनासागर को अतिक्रमण मुक्त करवाना चाहते हैं, उन्हीं न्यायाधीश के समक्ष ही अवैध निर्माणकर्ताओं की याचिका की सुनवाई हो।

आनासागर में अवैध निर्माण हटाने पर रोक

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इस मामले में मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल पहल कर सकते हैं। यदि मुख्य न्यायाधीश की हैसियत से पंकज मित्थल आनासागर से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई स्वयं करें तो यह झील अतिक्रमण मुक्त हो सकती है। जहां तक अजमेर प्रशासन का सवाल है तो उसका सुझाव अवैध निर्माण कर्ताओं की ओर है। यही वजह रही कि 2 फरवरी को हुई सुनवाई में नगर निगम और विभागों की ओर से कोई वकील उपस्थित ही नहीं हुआ। इसी का नतीजा है कि जिस हाईकोर्ट ने आनासागर को अतिक्रमण मुक्त करने की पहल की उसी हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

नो कंस्ट्रक्शन जोन में सेवन वंडर की इमारतें खड़ी करवा कर प्रशासन ने पहले ही अवैध निर्माणकर्ताओं की बड़ी मद कर रखी है। याचिका कर्ताओं का सबसे बड़ा तर्क यही है कि जब नो कंस्ट्रक्शन जोन सेवन वंडर की इमारतों का निर्माण हो सकता है, तब खातेदारी जमीन पर मकान दुकान शो रूम क्यों नहीं बन सकते। प्रशासन के मौजूदा अफसरों का कहना है कि सेवन वंडर का निर्णय पहले का है। पहले के अफसर कहां नियुक्त है, यह किसी को भी पता नहीं है।

वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन दोष मुक्त

सोशल मीडिया पर कथित अश्लील वीडियो पोस्ट करने एक मामले में राजस्थान वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष और अजमेर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश टंडन को दोषमुक्त कर दिया गया है। टंडन पर अजमेर में तैनात रहीं एक महिला आईएएस ने सिविल लाइन थाने पर मुकदमा दर्ज करवाया था। इस मामले में एसीजेएम की अदालत में सुनवाई हुई। एडवोकेट उमरदान लखावत ने टंडन की ओर से पैरवी की। लखावत का कहना रहा कि वीडियो से किसी भी तरह की अशिष्टता होना नहीं माना गया।

पोस्ट में मानहानि जैसी कोई बात भी नहीं है और न ही किसी भी महिला अधिकारी के नाम का उल्लेख किया गया है। यह मामला आईटी एक्ट में भी नहीं आता है। 2 फरवरी को चार्ज बहस सुनने के बाद टंडन के खिलाफ प्रकरण में अपराध बनना नहीं मानते हुए अदालत ने आरोपों से उन्मोचित कर दिया। इसी प्रकरण में अन्य मामले में हाईकोर्ट में विचाराधीन है। अदालत से दोषमुक्त होने पर टंडन को बड़ी राहत मिली है।

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