भारत की आपत्ति के बावजूद पाक को बेलआउट पैकेज क्यों..?

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भारत की आपत्ति के बावजूद पाक को बेलआउट पैकेज क्यों..?
भारत की आपत्ति के बावजूद पाक को बेलआउट पैकेज क्यों..?
संजय सिन्हा
संजय सिन्हा

पाकिस्तान पर जो सवाल उठाए गए थे, उसे खारिज कर दिया गया। आपको बताता चलूं कि आखिरकार आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज देने के अपने फैसले को पूरी तरह से उचित बताया है। उसने इस पर भारत की आपत्ति को खारिज कर दिया है।भारत की आपत्ति के बावजूद पाक को बेलआउट पैकेज क्यों..?

भारत के पुरजोर विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष  ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज देने का फैसला किया है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान ने इस लोन की किश्त पाने के लिए सभी जरूरी शर्तों को पूरा किया है। यह बेलआउट पैकेज पाकिस्तान को उसकी आर्थिक मुश्किलों से निकालने में मदद करेगा। सितंबर 2024 में मंजूर किए गए ‘एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी ‘ प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को अब तक लगभग 2.1 बिलियन डॉलर मिल चुके हैं। भारत ने इस बेलआउट पैकेज का विरोध किया था और  आईएमएफ से इस पर दोबारा विचार करने को कहा था। भारत का मानना है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है। इसके बावजूद आईएमएफ , संचार विभाग की निदेशक जूली कोजैक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान को लोन देने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने सभी लक्ष्यों को पूरा किया है। कोजैक ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे बोर्ड ने पाया कि पाकिस्तान ने वास्तव में सभी लक्ष्यों को पूरा किया है। उसने कुछ सुधार भी किए हैं, और इसी वजह से बोर्ड ने कार्यक्रम को मंजूरी दी।’

 उन्होंने आगे कहा, ‘पहली समीक्षा 2025 की पहली तिमाही में होनी थी। उसी के अनुसार, 25 मार्च 2025 को  आईएमएफ स्टाफ और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच EFF की पहली समीक्षा पर एक समझौता हुआ। उस समझौते को हमारे कार्यकारी बोर्ड के सामने पेश किया गया जिसने 9 मई को समीक्षा पूरी की। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान को उस समय भुगतान मिला।’ जबकि भारत ने उसे यह भी आगाह किया है कि जब-जब उसे इस तरह का लोन मिलता है, वह हथियारों का नया जखीरा जुटा लेता है।  ‘पाकिस्तान को जब भी इस ‘वैश्विक ऋणदाता’ से लोन मिलता है,ऐसा देखा गया है कि वह हथियारों की खरीद बढ़ा देता है।’ लेकिन, जिस तेजी के साथ आईएमएफ  ने भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज किया है, उससे लगता है कि उसने पाकिस्तान को लोन देना पहले ही तय कर रखा था।हालांकि, आईएमएफ ने पाकिस्तान को लोन देने के लिए 11 नई शर्तें भी रखी हैं। इन शर्तों में संसदीय मंजूरी, बिजली पर कर्ज सेवा शुल्क में वृद्धि और आयात पर प्रतिबंध हटाना शामिल है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान को लोन पाने के लिए कुछ और आर्थिक सुधार करने होंगे।

भारत ने इस बेलआउट पैकेज का कड़ा विरोध किया है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आईएमएफ  की मदद ‘आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग करने का एक तरीका है।’ 9 मई को, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम से एक दिन पहले, नई दिल्ली ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज देने के लिए आईएमएफ  की आलोचना की थी। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए कर सकता है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से पाकिस्तान को मिलने वाले 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के शेष फंड के लिए 11 शर्तें जोडऩे के फैसले को भारतीय दृष्टिकोण से स्वागत योग्य ही कहा जाएगा, हालांकि यह पूरी तरह आश्वस्त करने वाला कतई नहीं है। आइएमएफ ने इस बेलआउट पैकेज में से 2.4 अरब डॉलर का फंड पाकिस्तान को पहलगाम आतंकी हमले के बाद जारी किया। पहलगाम हमले में पाकिस्तान का हाथ था, यह पूरी दुनिया को पता था। यह सब जानते हुए भी आइएमएफ ने पाकिस्तान की मदद के लिए फंड जारी किया था। इसका भारत ने विरोध दर्ज कराया और यह राशि जारी नहीं करने का आग्रह भी किया था। यह मान लेना भूल होगी कि इतने विरोध-प्रतिरोध के बावजूद पाकिस्तान को मदद पहुंचाने वाले आइएमएफ को अपनी गलती का अहसास हो गया होगा।

यह भी नहीं कहा जा सकता कि पाकिस्तान पर शर्तें लगाने का कदम उस गलती के सुधार का प्रयास है। इसे अंतरराष्ट्रीय जगत में संवेदनशील, पारदर्शी और नियम संगत प्रतीत होने के आइएमएफ के प्रयास के रूप में देखा जाना तो कतई उचित नहीं कहा जा सकता। दरअसल, आइएमएफ की कार्यप्रणाली विशेषकर पाकिस्तान के मामले में तो कभी भी पारदर्शी और नियम संगत नहीं रही। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि उसका आचरण एक वित्तीय संस्थान से ज्यादा राजनीतिक संगठन जैसा रहा है। इतिहास साक्षी है कि उसकी ओर से पाकिस्तान को न जाने कितनी बार चेतावनियां जारी की जा चुकी हैं। इसके बावजूद आइएमएफ ने कभी देर जरूर की है पर हर बार पाकिस्तान को फंड दिया ही है।

पाकिस्तान इस फंड का क्या करता है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। अपने देश को संवारने, आधारभूत ढांचा बनाने या अपनी जनता के दु:ख-दर्द दूर करने में नहीं, बल्कि भारत को अस्थिर करने की साजिश रचने में ही उसका धन और ऊर्जा लगती रही है। अब भी फंड मिलते ही पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट बढ़ा दिया। माना जा सकता है कि वह आगे भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारत के खिलाफ काम करता रहेगा। आइएमएफ को यह समझना चाहिए कि सिर्फ दिखावे के लिए कुछ शर्तें लाद देने से वह निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं कहलाने लगेगा। इसके लिए उसे अपनी कथनी और करनी एक समान करनी होगी। उसकी साख और कोष के उद्देश्यों की पूर्ति व सार्थकता के लिए भी जरूरी है कि वह सुनिश्चित करे कि उसकी ओर से दिया जाना वाला हर फंड मानवता के काम आएगा। आइएमएफ का निगरानी तंत्र निश्चित तौर पर होगा लेकिन जैसे कि हालात दिख रहे हैं, साफ लगता है कि वह बहुत कमजोर है। इस तंत्र को मजबूत और सक्रिय करना होगा ताकि कोई भी देश मिलने वाली मदद का दुरुपयोग न कर सके। उसे डर रहे कि यदि दुरुपयोग किया तो वह आगे मदद से हमेशा के लिए वंचित रह जाएगा। आईएमएफ को इस विषय पर बेहद संजीदगी बरतनी चाहिए। भारत की आपत्ति के बावजूद पाक को बेलआउट पैकेज क्यों..?