— श्याम कुमार
लखनऊ, आज बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं महत्वपूर्ण संस्था ‘विचारमंच’ द्वारा कोरोना की बंदिशों के कारण दूरभाष पर अपनी नियमित संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ‘लखनऊ नगर निगम’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लखनऊ नगर निगम राजधानी की जनता का भला करने में पूरी तरह विफल हो रहा है। वह जनसमस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन तथा अंधा-बहरा बना हुआ है, जिसका गंभीर दुष्परिणाम लखनऊ वासियों को भुगतना पड़ रहा है। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ मजदूर नेता एवं राजनीतिक विश्लेषक सर्वेश चंद्र द्विवेदी ने भ्रष्टाचार को लखनऊ नगर निगम की विफलता का मूल कारण बताते हुए कहा कि वहां भ्रष्ट लोगों का एक ताकतवर काॅकस बना हुआ है, जिसमें अनेक इंजीनियर, ठेकेदार, पार्षद,कर्मचारी आदि शामिल हैं तथा जनकल्याण के लिए आवंटित अधिकांश धन इस गठजोड़ की जेब में चला जाता है। भ्रष्टाचार का ही एक उदाहरण यह है कि लखनऊ के जिन हिस्सों में सीवर नहीं पड़ा है, वहां गंदे पानी की निकासी के लिए छह इंच से एक फुट तक चैड़ाई वाले सीवर-पाइप डाले जा रहे हैं। इतने पतले पाइप गंदे पानी की निकासी ठीक से नहीं कर पाएंगे और उन पर खर्च किया गया धन
व्यर्थ हो जाएगा। इसी प्रकार हर साल सीवरों की अधिकांशतः फर्जी सफाई दिखाकर धन हड़प लिया जाता है। भ्रष्टाचार के कारण ही शहर में सेनेटाइजेशन का फर्जी काम हो रहा है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पत्रकार श्याम कुमार ने बताया कि डायमंडडेरी काॅलोनी कल्याण समिति द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद काॅलोनी में वर्षाें से अतिआवश्यक सुधार-कार्य भी नहीं किए गए हैं। काॅलोनी के पार्क जर्जर स्थिति में हैं। एक बड़ी क्यारी का निर्माण
लगभग दो वर्ष पूर्व शुरू किया गया था, जो अधूरा पड़ा हुआ है। काॅलोनी में अनेक लाइटें एक वर्ष से खराब हैं, किन्तु महापौर एवं नगर आयुक्त के बार-बार आश्वासन के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कबीर मार्ग की मरम्मत के नाम पर 50 लाख का घोटाला किया गया। पत्रकार राजीव आहूजा ने कहाकि शहर में सफाई की व्यवस्था बहुत दोषपूर्ण है। सफाई कर्मचारी अपनी ड्यूटी सही ढंग से नहीं करते। गंदगी के कारण लखनऊ में कोरोना का भीषण प्रकोप हुआ है। तमाम इलाकों में जरूरी सेनेटाइजेशन नहीं किया गया।
पत्रकार राम सिंह तोमर ने कहाकि लखनऊ नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की खबरें समाचारपत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं, किन्तु दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती है। जब तक भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी, लखनऊ नगर निगम जनता के लिए
बिलकुल अनुपयोगी बना रहेगा। पत्रकार नसीमुल्ला खान ने कहाकि लखनऊ नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं मनोयोग से न काम करने की प्रवृत्ति के कारण ही लखनऊ स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में पिछड़ा हुआ है। समाजसेवी सुशीला मिश्र ने कहाकि महापौर एवं नगर आयुक्त के परिश्रम के बावजूद जनता की समस्याएं इसलिए नहीं हल होती हैं कि वे लोग पहले से सूचना देकर शहर के
इलाकों का निरीक्षण करते हैं। यदि वे सचमुच जनता का भला करना चाहते हैं तो उन्हें अपने मातहतों को जानकारी दिए बिना औचक निरीक्षण करने चाहिए, तभी वास्तविकताओं का पता लग सकेगा।
पत्रकार डाॅ. हरिराम त्रिपाठी ने कहाकि लखनऊ नगर निगम का स्वास्थ्य एवं सफाई महकमा अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नहीं कर रहा है। सेनेटाइजेशन का काम बहुत सीमित जगहों पर किया गया, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी में कोरोना का व्यापक प्रसार हो गया। तमाम इलाकों में बार-बार अनुरोध के बावजूद सेनेटाइजेशन नहीं कराया गया। अन्य एक दर्जन
वक्ताओं ने भी लखनऊ नगर निगम की कार्यप्रणाली की आलोचना की।